नमस्कार दोस्तों अगर आप बाजार अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं तथा बाजार अर्थव्यवस्था के लाभ और हानि की विशेषता क्या है के बारे में जानना चाहते हैं तो यह लेख इस चीज में आपकी मदद करेगा।
वर्तमान समय में कई प्रकार की अर्थव्यवस्था हमारी समाज में मौजूद है इस कारण अर्थव्यवस्था को समझना और भी जटिल हो गया है।
बाजार अर्थव्यवस्था कई वर्षों से चली आ रही अर्थव्यवस्था है और यह अर्थव्यवस्था लगभग दुनिया के सभी देशों में पाया जाता है, आगे हम बाजार अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं और इसकी क्या विशेषता है इसे जानेंगे।
विषय सूची
बाजार अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
ऐसी अर्थव्यवस्था जहां के अधिकांश संसाधन शक्तियां किसी एक व्यक्ति के पास होती है तथा वह व्यक्ति लोगों के मांग के अनुसार अपनी स्वेच्छा से बाजार में मौजूद उत्पादन के दाम को कम और अधिक कर सकता है इस तरह के अर्थव्यवस्था को बाजार अर्थव्यवस्था कहते हैं।
बाजार अर्थव्यवस्था में सरकार के पास कोई नियंत्रण नहीं होता है इसलिए व्यापारी अपने संसाधनों की कीमत अपने मुताबिक घटा बढ़ा सकता है।
लोग व्यक्तिगत रूप से बाजार में स्वैच्छिक आधार पर अन्य संसाधनों, जैसे माल या सेवाओं के लिए धन जैसे संसाधनों का आदान-प्रदान करते हैं।
आदान-प्रदान किए गए संसाधनों का मूल्य इस बात पर आधारित होता है कि प्रत्येक संसाधन कितना दुर्लभ है और कितने लोग संसाधन का मांग कर रहे हैं।
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यदि किसी संसाधन की आपूर्ति कम है, लेकिन मांग अधिक है, तो कीमत अधिक होगी। यदि मांग कम है और आपूर्ति अधिक है, तो कीमत कम होगी।
बाजार अर्थव्यवस्था क्या है?
बाजार अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जहां अधिकांश संसाधन व्यक्तियों के स्वामित्व और नियंत्रित होते हैं तथा आपूर्ति और मांग की संभावनाओं द्वारा शासित स्वैच्छिक बाजार लेनदेन के माध्यम से आवंटित किए जाते हैं।
सरकार बाजार अर्थव्यवस्था के अंतर्गत आने वाली कंपनी के उत्पादन को नियंत्रित नहीं करती है इस कारण बाजारों में उत्पादन की कीमत नियंत्रण में नहीं रहती है।
इस प्रकार की अर्थव्यवस्था देश के विकास में अच्छी योगदान देती है लेकिन यह अमीर और गरीब के बीच एक व्यापक दूरी का निर्माण करती है जो सामाजिक हित के लिए अच्छा नहीं है।
बाजार अर्थव्यवस्था की विशेषता क्या है?
- बाजार अर्थव्यवस्था आपूर्ति और मांग के नियमों के तहत कार्य करती है।
- यह निजी स्वामित्व, पसंद की स्वतंत्रता, स्व-हित, प्लेटफॉर्म खरीदने और बेचने, प्रतिस्पर्धा करने की सुविधा देता है।
- प्रतिस्पर्धा बाजार अर्थव्यवस्था को संचालित करती है क्योंकि यह दक्षता और नवाचार को प्रोत्साहित करने का काम करती है।
- बाजार अर्थव्यवस्थाएं उन लोगों को नीचे रखती हैं जो प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं इस कारण दो व्यापारियों के आय में असमानता में होती है।
- बाजार अर्थव्यवस्था सरकार का अधिक नियंत्रण नहीं रहता है।
बाजार अर्थव्यवस्था के लाभ क्या है?
अगर आप अपना व्यापार बाजार अर्थव्यवस्था के अंतर्गत चलाते हैं तो आपको निम्नलिखित रुप से कई फायदे हो सकते हैं।
बाजार अर्थव्यवस्था के निम्नलिखित लाभ हैं :
- उपभोक्ताओं के मांग के अनुसार वस्तुओं का उत्पादन
उपभोक्ताओं के मांग के अनुसार वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाता है जिसमें बाजार अर्थव्यवस्था की संरचनाएं यह सुनिश्चित करती है कि जिन वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है लोग उसकी मांग कर रहे हैं और लोग उस सेवाओं के लिए उच्चतम मूल्य का भुगतान करने के लिए सक्षम है।
- वस्तुओं का कुशल उत्पादन
बाजार अर्थव्यवस्था की सबसे अच्छी बात यह है कि इसके द्वारा जो सेवाएं और वस्तुओं का उत्पादन होता है वह सबसे कुशल उत्पादकों में गिने जाते हैं, व्यापारी कुशल उत्पादन के माध्यम से अधिक से अधिक पैसा कमा पाते हैं।
- नई सेवाओं और वस्तुओं का उत्पादन
नए, रोमांचक उत्पाद मौजूदा उत्पादों की तुलना में उपभोक्ताओं के मांग को बेहतर ढंग से संतुष्ट करते हैं, इस कारण से बाजार अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और नए नए किस्म के सेवाएं और वस्तुओं का उत्पादन होता है।
- व्यापार में निवेश
बाजार अर्थव्यवस्थाएं सफल व्यवसायों को आने वाली कंपनियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, इस प्रकार उत्पादन की गुणवत्ता और लोगों की सुविधा में वृद्धि होती है।
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बाजार अर्थव्यवस्था के हनी क्या है?
अगर अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा जाए तो बाजार अर्थव्यवस्था के कुछ हानि भी निकल कर आते हैं जिसका विवरण निम्नलिखित रूप से हो सकता है।
बाजार अर्थव्यवस्था के हानि निम्नलिखित रुप से है :
- प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान
कई बार बाजार के प्रतिस्पर्धा में कंपनी द्वारा वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य अधिक से अधिक लिया जाता है और इस प्रकार की संभावनाएं भी हो सकती है कि वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता अच्छी ना हो पर उसका मूल्य अधिक लिया जा रहा हो।
- अनुकूलन का अभाव
बाजार अर्थव्यवस्था की आर्थिक लागत बहुत अधिक होती है इस कारण इसमें मौजूद प्रतिभागी अपने आप को अनुकूलित महसूस नहीं करते हैं। लागत की वजह से नए व्यापारी बाजारों में नहीं आ पाते हैं और उन्हें छोटी-मोटी नौकरी करनी पड़ती है।
- समाज में आर्थिक अंतर
बाजार अर्थव्यवस्था में पहले से मौजूद व्यक्ति के पास अत्यधिक सकती होती है जिससे नए व्यापार बहुत मुश्किल से चल पाते हैं और इस कारण समाज में रहने वाले लोगों के बीच एक व्यापक आर्थिक अंतर उत्पन्न होती है।
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सरकार और बाजार अर्थव्यवस्था
सरकार की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि बाजार खुले, काम करने वाले, स्थिर, निष्पक्ष और सुरक्षित हों।
सरकार विभिन्न प्रकार की एजेंसियों का निर्माण करती है जो यह जांच करती है और सुनिश्चित करती है कि उत्पाद उपयोग और उपभोग के लिए सुरक्षित है या नहीं और व्यवसाय उपभोक्ताओं का लाभ तो नहीं उठा रहे हैं।
इन्हीं एजेंसियों के माध्यम से सरकार यह भी सुनिश्चित करती है कि कंपनियों द्वारा उत्पादित किया गया वस्तु या सेवा सभी बाजारों तक समान रूप से पहुंच रहा हो।
सरकार उन कंपनियों को दंडित करती है जो बाजार के केवल एक हिस्से पर निर्भर रहते हैं जहां से उन्हें ज्यादा कमाई हो रही हो।
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नियामक एजेंसियां यह सुनिश्चित करने के लिए काम करती हैं कि कोई भी बाजारों में हेरफेर नहीं कर रहा हो और सभी को समान रूप से अपना हक मिले।
प्रश्न और उत्तर
बाजार अर्थव्यवस्था ऐसा अर्थव्यवस्था होता है जहां के अधिकांश संसाधन और नियंत्रण किसी एक व्यक्ति के पास होता है और वह बाजार के मांग के अनुसार अपने उत्पाद को घटा बढ़ा सकता है।
बाजार अर्थव्यवस्था में सरकार का केवल यह योगदान है कि उन्हें सिर्फ यह सुनिश्चित करना होता है की बाजार निष्पक्ष रुप से काम कर रहा हो।
भारत में बाजार अर्थव्यवस्था के कुछ मुख्य आधार उदाहरण मुकेश अंबानी और गौतम अडानी है।
बाजार अर्थव्यवस्था लोगों की मांग पर निर्भर करता है जितना ज्यादा लोगों का मांग होगा उतना अधिक उस उत्पादन की कीमत होगी।
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निष्कर्ष
बाजार अर्थव्यवस्था देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है। यदि आपके पास लोगों की मांग को पूरी करने की शक्ति है तो आप बाजार अर्थव्यवस्था में एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं।
हमारी आशा है कि आपको बाजार अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं और बाजार अर्थव्यवस्था के लाभ और हानि तथा सरकार के साथ बाजार अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषता क्या है के ऊपर यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
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