भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना के लिए सबसे शुभ तिथि Yogini Ekadashi मानी जाती है। एकादशी महीने में 2 बार आती है । एक शुक्ल पक्ष में तथा एक कृष्ण पक्ष में एकादशी मनाई जाती है। इस yogini ekadashi को करने और इसके vrat Katha के सुने से ही आपके 10 जन्मों के पाप कट जाते हैं
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है । इस वर्ष योगिनी एकादशी 5 जुलाई को पड़ रही है । ऐसी मान्यता है कि एकादशी करने से सभी प्रकार के पाप कर्म दोष तथा अन्य बुरे कर्मों के फल नष्ट हो जाते हैं।
आइए जानते हैं इस वर्ष की पूजा विधि तथा कथा के बारे मेंः-
विषय सूची
Yogini Ekadashi शुभ मुहूर्त 2021
- योगिनी एकादशी: 05 जुलाई 2021
- तिथि का समय: 4 जुलाई 2021 कि 8:46 रात्रि से 5 जुलाई 2021 की 10:42 रात्रि तक
- परायण: 6 जुलाई की सुबह
Yogini एकादशी पूजा विधि
एकादशी व्रत को रखने का सबसे पहला नियम यह होता है कि हमें एकादशी के एक दिन पहले ही यह प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में हम एकादशी से 1 दिन पहले ही सात्विक भोजन खाना शुरू करते हैं ।
एकादशी से पहले वाले दिन बिना प्याज लहसुन अथवा तामसिक भोजन करना छोड़ देते है। अगले दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर भगवान श्रीहरि की पूजा उपासना करते हैं ।
एकादशी के दिन भगवान श्री हरि की व्रत कथा सुनते या पढ़ते हैं । पुराणों में इस एकादशी का विशेष महत्व है ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी तक भगवान श्री विष्णु जागृत अवस्था में रहते हैं ।
एकादशी के बाद वाले दिन सुबह शनान आदि से मुक्त होकर ब्राह्मण को दान देकर हमें अपना व्रत तोड़ना चाहिए ।
योगिनी एकादशी व्रत कथा Yogini Ekadashi Vrat Katha
पद्म पुराण में Yogini Ekadashi Vrat Katha का वर्णन मिलता है । योगिनी एकादशी की कथा हम शुरू करते हैं
अर्जुन ने कहा
हे त्रिलोकीनाथ! मैंने ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला Ekadashi Vrat Katha सुनी । अब आप कृपा करके आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष एकादशी की कथा सुनाइए। इस एकादशी का नाम क्या है तथा इसका महत्व क्या है मुझे विस्तार पूर्वक समझाइए ।
श्रीकृष्ण ने कहा
हे पाण्डु पुत्र! आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम Yogini Ekadashi है। इसके व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत इहलोक में भोग तथा परलोक में मुक्ति देने वाला है।
हे अर्जुन! यह एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। इसके व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। तुम्हें मैं पुराण में कही हुई Yogini Ekadashi Vrat Katha कथा सुनाता हूँ, ध्यानपूर्वक श्रवण करो- कुबेर नाम का एक राजा अलकापुरी नाम की नगरी में राज्य करता था। वह शिव-भक्त था।
उनका हेममाली नामक एक यक्ष सेवक था, जो पूजा के लिए फूल लाया करता था। हेममाली की विशालाक्षी नाम की अति सुन्दर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से फूल लेकर आया, किन्तु कामासक्त होने के कारण पुष्णों को रखकर अपनी स्त्री के साथ रमण करने लगा। इस भोगविलास में दोपहर हो गई।
हेममाली की राह देखते-देखते जब राजा कुबेर को दोपहर हो गई तो उसने क्रोधपूर्वक अपने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर पता लगाओ कि हेममाली अभी तक फूल लेकर क्यों नहीं आया।
जब सेवकों ने उसका पता लगा लिया तो राजा के पास जाकर बताया- हे राजन! वह हेममाली अपनी स्त्री के साथ रमण कर रहा है। इस बात को सुन राजा कुबेर ने हेममाली को बुलाने की आज्ञा दी। डर से काँपता हुआ हेममाली राजा के सामने उपस्थित हुआ। उसे देखकर कुबेर को अत्यन्त क्रोध आया और उसके होंठ फड़फड़ाने लगे।
राजा ने कहा– अरे अधम! तूने मेरे परम पूजनीय देवों के भी देव भगवान शिवजी का अपमान किया है। मैं तुझे शाप (श्राप) देता हूँ कि तू स्त्री के वियोग में तड़पे और मृत्युलोक में जाकर कोढी का जीवन व्यतीत करे।
कुबेर के शाप (श्राप) से वह तत्क्षण स्वर्ग से पृथ्वी पर आ गिरा और कोढ़ी हो गया। उसकी
स्त्री भी उससे बिछड़ गई। मृत्युलोक में आकर उसने अनेक भयंकर कष्ट भोगे, किन्तु शिव की कृपा से उसकी बुद्धि मलिन न हुई और उसे पूर्व जन्म की भी सुध रही।
अनेक कष्टों को भोगता हुआ तथा अपने पूर्व जन्म के कुकर्मों को याद करता हुआ वह हिमालय पर्वत की तरफ चल पड़ा। चलते-चलते वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुँचा।
वह ऋषि अत्यन्त वृद्ध तपस्वी थे। वह दूसरे ब्रह्मा के समान प्रतीत हो रहे थे और उनका वह आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान शोभा दे रहा था। ऋषि को देखकर हेममाली वहाँ गया और उन्हें प्रणाम करके उनके चरणों में गिर पड़ा।
हेममाली को देखकर मार्कण्डेय ऋषि ने कहा तूने कौन-से निकृष्ट कर्म किये हैं, जिससे तू
कोढ़ी हुआ और भयानक कष्ट भोग रहा है। महर्षि की बात सुनकर हेममाली बोला-हे मुनिश्रेष्ठः मैं राजा कुबेर का अनुचर था। मेरा नाम हेममाली है। मैं प्रतिदिन मानसरोवर से
फूल लाकर शिव पूजा के समय कुबेर को दिया करता था। एक दिन पली सहवास के सुख में फँस जाने के कारण मुझे समय का ज्ञान ही नहीं रहा और दोपहर तक पुष्ण न पहुँचा सका।
तब उन्होंने मुझे शाप (श्राप) दिया कि तू अपनी स्त्री का वियोग और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी बनकर दुख भोग। इस कारण मैं कोढ़ी हो गया हूँ तथा पृथ्वी पर आकर भयंकर कष्ट भोग रहा हूँ, अतः कृपा करके आप कोई ऐसा उपाय बतलाये, जिससे मेरी मुक्ति हो।
मार्कण्डेय ऋषि ने कहा- हे हेममाली! तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए मैं तेरे उद्धार के लिए एक व्रत बताता हूँ। यदि तू आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।
महर्षि के वचन सुन हेममाली अति प्रसन्न हुआ और उनके वचनों के अनुसार योगिनी एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करने लगा। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आ गया और अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।
हे राजन! इस योगिनी एकादशी की कथा का फल अट्ठासी सहस्र ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है। इसके व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में मोक्ष प्राप्त करके प्राणी स्वर्ग का अधिकारी बनता है।
समाप्त : जय श्री कृष्णा !
Yogini Ekadashi 2021 : प्रश्न और उत्तर
योगिनी एकादशी: 05 जुलाई 2021 तिथि का समय: 4 जुलाई 2021 कि 8:46 रात्रि से 5 जुलाई 2021 की 10:42 रात्रि तक परायण: 6 जुलाई की सुबह