दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम लोग जानेंगे Suraj Bhagwan Ki Kahani और उनकी महिमाओं के बारे में। नीचे हमने सूर्य भगवान की 2 व्रत कथा दे रखा हैं।आशा करता हूं आपको यह अच्छा लगेगा।
मित्रों हिंदू धर्म में Suraj Bhagwan को बहुत महान बताया गया है ऐसा माना जाता है किस सूरज भगवान की आराधना करने पर अपने भक्तों को मुंह मांगा वरदान देते हैं। Suraj Bhagwan Ki Kahani विस्तृत रूप से जाने।
Suraj Bhagwan Ki Kahani Hindi Mein
बहुत पुरानी बात है एक गांव में एक वृद्ध महिला रहती थी। जो नियमित रूप से हर रविवार के दिन सूर्यउदय से पहले उठ कर अपने नित्य कार्यों को पूरा कर अपने आंगन को गोबर से लिपती थी जिससे वह साफ रह सके।
तत्पश्चात सूर्य भगवान की पूजा करती थी। साथ ही रविवार को Suraj Bhagwan Ki Kahani सुनती थी। इस दिन वाह मात्र एक बार भोजन करती थी और उससे पूर्व Suraj Bhagwan को भोग लगाती थी।
सूरज भगवान उस वृद्ध महिला से बहुत प्रसन्न थे। सूरज भगवान के प्रसन्न होने के कारण उस वृद्ध महिला को कोई कष्ट नहीं था वह हमेशा बहुत खुश रहती थी।
इसी दौरान उसकी पास वाली पड़ोसन ने देखा कि वह वृद्ध महिला बहुत सुखी है। मैं इतने कष्ट में हूं तो वह उस वृद्ध महिला से जलने लगी। उस वृद्ध महिला के पास कोई गाय ना होने के कारण वह गोवर अपने पड़ोसन से लिया करती थी।
एक दिन उसके पड़ोसन ने अपनी गाय अपने घर के अंदर बांध दीया जिससे उस वृद्ध महिला को पूजा करने के लिए गोबर ना मिल सके।
अगला रविवार आने पर उस वृद्ध महिला को Suraj Bhagwan Ki पूजा करनी थी। गोबर ना मिलने के कारण वह वृद्ध महिला भूखी प्यासी रहकर Suraj Bhagwan Ki आराधना और Kahani सुनने लगी।
दोपहर बीत गया और वह वृद्ध महिला भूखी प्यासी Suraj Bhagwan से प्रार्थना कर रही थी। तभी अचानक एक गाय उस वृद्ध महिला के आंगन में प्रकट हो गई।
गाय का आवाज सुनने पर वह वृद्ध महिला अपने घर से बाहर निकली और गाय को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गई और सूर्य भगवान को धन्यवाद दिया।
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इस तरह Suraj Bhagwan Ki Kahani सुनने और उनकी आराधना करने पर उस वृद्ध महिला की सारी कष्ट सूर्य भगवान ने हर लिए और उसे सुख प्रदान किया।
Surya Bhagwan Ki Kahani
प्राचीन काल की बात है एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था। वह Suraj Bhagwan Ka भक्त था। वह हर रोज सुबह सूर्य उदय से पूर्व उठकर नहाता धोता और Suraj Bhagwan Ki Kahani कहता एवं सुनता था।
इन सब में उसे देर हो जाती थी और वह ज्यादा काम नहीं कर पाता था जिसके कारण उसे उसकी पत्नी बहुत डांट ती थी एवं समाज वाले भी उसे निकम्मा कहते थे।
एक दिन इन सब चीजों से परेशान होकर वह ब्राह्मण बाजार से पूजन का सामग्री लेकर जंगल मैं चला गया वहां एक सूखी नदी के किनारे एक सूखे पीपल का पेड़ था।
जहां बैठकर वह ब्राह्मण Suraj Bhagwan Ki Kahani पढ़ने लगा एवं उनकी पूजा करने लगा। पूजा खत्म होने के बाद वह नदी से जल लेकर सूर्य भगवान को समर्पित करता है।
जैसे ही उसके द्वारा चढ़ाया गया जल नदी और पीपल के पेड़ पर गिरता है। वैसे ही नदी साफ पानी से भर जाता है और पीपल का पेड़ हरा भरा हो जाता है।
तभी सूर्य भगवान उस नदी के जल में प्रकट होकर कहते हैं “ हे ब्राह्मण मांग क्या मांगता है” ब्राह्मण ने यह सुनकर सोचा कि यह आवाज किसी भूत-प्रेत का तो नहीं।
तब वह घर जाकर यह सारी बात अपनी पत्नी को बताता है। तब उसकी पत्नी है समझ जाती है कि Suraj Bhagwan ने इन्हें दर्शन दे दिया है।
ब्राह्मण की पत्नी उसे समझाती है और कहती है सूर्य भगवान आप से प्रसन्न होकर आप को वरदान देना चाहते हैं। तब ब्राह्मण अपनी पत्नी से कहता है।
वरदान में क्या मांगू बताओ उसकी पत्नी कहती है कम शब्दों में जितना हो सके मांग लो और ब्राह्मण को सूर्य भगवान से या मांगने को कहता है कि “अपने महल के अंदर सोने के पालने में पर पोते को दसियों द्वारा खिलाते अपनी आंखों से देख पाऊं”
अगले दिन जब वह जंगल में जाता है और Suraj Bhagwan Ki Kahani और आराधना करता है। तभी भगवान सूर्य फिर से प्रकट होकर ब्राह्मण से वरदान मांगने को कहता है। तब ब्राह्मण अपनी पत्नी के द्वारा बताए गए शब्दों को सूर्य भगवान को कहता है।
तब Suraj Bhagwan यह सुनकर कहा दिखने में तो तू बहुत भोला-भाला लगता है। पर एक ही बार में सब मांग लिया Suraj Bhagwan ने कहा जा तेरी इच्छा पूरी होगी।
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ब्राह्मण जब जंगल से वापस अपने घर को जाता है तो देखता है कि उसकी टूटी हुई झोपड़ी महल बन गई है और उस महल में दास दासिया आ जा रहे हैं। ब्राह्मण पास में बैठी हुई एक बूढ़ी महिला से पूछा यहां तो मेरी झोपड़ी हुआ करती थी?
उसी समय महल की खिड़की से एक सुंदर सी महिला गानों और सुंदर कपड़ों से लदी हुई बाहर आई, और ब्राह्मण से आकर बोली आ जाओ यह अपना ही घर है। सूरज भगवान ने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण कर दी है।
इतना धन देखकर ब्राह्मण ने उस महिला से कहा इतना धन का हम क्या करेंगे? तभी उसकी पत्नी ने कहा “ धन से क्या नहीं होता है? दान पुण्य यज्ञ होम करेंगे “ फिर ब्राह्मण ने अपने धन का इस्तेमाल पूजा पाठ एवं पुण्य कार्यों में किया”
अब सभी गांव वाले राजा के जगह उस ब्राह्मण का गुणगान करने लगे, राजा ने यह सब सुनकर ब्राह्मण को बुलाया और पूछा कल तक तो आपको खाना भी नहीं मिलता था।
आज यह धन कहां से आ गया? कहां से चोरी की और डाका डाला? ब्राह्मण ने कहा यह सब तो Bhagwan Suraj की कृपा और सारी कहानी राजा को बताया।
राजा ने यह सुनकर उसने भी Suraj Bhagwan Ki Kahani सुनने और आराधना करने लगा। जिससे Suraj Bhagwan ने राजा को एक सुंदर सा पुत्र दिया और उसका परिवार सुख से भर दिया।
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इसी तरह जो भक्त Suraj Bhagwan Ki Kahani पढ़ता एवं सुनता है और सूर्य भगवान की पूजा करता है तो भगवान सूर्य उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं।
निष्कर्ष
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jai ho surya bhagwan