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त्रिपिटक क्या है? त्रिपिटक के प्रकार और इसकी विशेषताएं

आज हम लोग इस आर्टिकल में जानेंगे कि त्रिपिटक क्या है? (Tripitak Kya The) और त्रिपिटक के कितने प्रकार हैं? तथा इनकी विशेषता क्या है? त्रिपिटक का इस्तेमाल कहां होता है।

बौद्ध धर्म में त्रिपिटक का महत्व उसी प्रकार है जिस प्रकार हमारे हिंदू धर्म में रामायण, गीता और महाभारत का है, इससे आप इसकी महत्वता का पता लगा सकते हैं।

त्रिपिटक से जुड़े हुए कई सारे प्रश्न हमारे मन में आते हैं कि त्रिपिटक क्या है, त्रिपिटक कैसे बना और उसकी क्या विशेषताएं रहती है आइए इसे विस्तार से जाने।

त्रिपिटक क्या है?

त्रिपिटक क्या है? त्रिपिटक के प्रकार और इसकी विशेषताएं

त्रिपिटक बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का एक संग्रह है जो बौद्ध के दर्शन कराता है यह बौद्ध धर्म से जुड़ी हुई सबसे प्राचीन संग्रह है जिसमें कई सारे “सूतो और रचना” देखने को मिलती है।

त्रिपिटक को अंग्रेजी में “पाली कैनन” भी कहते हैं इसके अलावा त्रिपिटक को टीपीटका के नाम से भी जाना जाता है।

बौद्ध धर्म के सभी नियमों को इस में संग्रहित किया गया है जो बौद्ध धर्म के अनुशासन एवं विभिन्न प्रक्रिया को दर्शाता है।

त्रिपिटक का मतलब क्या होता है?

त्रिपिटक बौद्ध शिक्षाओं का एक संग्रह है जो थेरवाद बौद्ध दर्शन का आधार है और यह बौद्ध शिक्षाओं का सबसे पुराना संग्रह है। त्रिपिटक शब्द मैं “त्रि” जिसका अर्थ है “तीन” और “पिटक” जिसका अर्थ है “टोकरी” अर्थात तीन टोकरी, त्रिपिटक को टिपिटका के नाम से भी जाना जाता है।

त्रिपिटक बुद्ध के शब्द के रूप में थेरवाद बौद्ध धर्म से जाना जाता है, क्योंकि यह शिक्षाओं और बुद्ध की प्रथाओं और उनके अनुयायियों में शामिल है। 

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यह सामग्री एकत्र और चौथी सदी ईसा पूर्व में सबसे पहले बौद्ध परिषद द्वारा आयोजित किया गया यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्वमें अंत में लिखे जाने तक मौखिक रूप से पारित किया गया था।

त्रिपिटक के प्रकार

त्रिपिटक के मूल तीन प्रकार होते हैं जिसे तीन टोकरी के आधार पर भी व्यक्त किया जा सकता है।

त्रिपिटक के तीनों प्रकार के व्याख्या कुछ इस प्रकार से मिलते हैं।

सुत्त पिटक (Sutta Pitaka)

इसमें 10,000 से अधिक सूत्र शामिल हैं जो बुद्ध और उनके करीबी दोस्तों से संबंधित हैं। इसमें पहली बौद्ध परिषद शामिल है, जो शीघ्र ही हुई थी बुद्ध के निधन के बाद। 

अधिकांश विद्वानों द्वारा यह लगभग 400 ईसा पूर्व राजगीर में दिनांकित किया गया था वह भी भिक्षु महाकश्यप ने अध्यक्षता मैं।

इसके खंड हैं:

  1. दीघा निकाय:34 लंबे सूत्रों में “लंबे” प्रवचनों को शामिल करता है।
  2. मज्जिमा निक: इस खंड में “मध्य” शामिल है लंबाई” प्रवचन 152 सूत्रों में पाए गए।।
  3. संयुक्त निकाय: इस संग्रह में 2800 से अधिक सूत्रों के “जुड़े हुए” प्रवचन शामिल हैं
  4. “संख्यात्मक” प्रवचन शामिल हैं। ओम 9600 से अधिक सूत्र।
  5. खुदाका निकाय – यह “मामूली संग्रह” है, इसमें 15-17 पुस्तिकाएं हैं

विनय पिटक (Vinaya Pitaka)

विनय पिटक में विषय वस्तु भिक्षुओं, ननों और अन्य धार्मिक आदेशों के मठवासी नियम हैं। इसे अनुशासन की पुस्तक और अनुशासन की टोकरी के रूप में भी जाना जाता है।

इसके खंड में शामिल है:

  • सुत्तविभंगा मठवासी अनुशासन का मूल कोड है, इसमें भिक्षुओं (महा विभंग) के लिए 227 नियम हैं, और पूरी तरह से नियुक्त भिक्षुणियों के लिए 311 नियम हैं।
  • खंडका: खंडका, विनय पिटक की दूसरी पुस्तक है, यह दो खंडों में विभाजित है: महावग्गा और कल्लवग्गा। महावग्गा जागृत बुद्ध और उनके महान शिष्यों के बारे में है। कल्लवग्गा समुदाय में बौद्ध भिक्षुणियों की स्थापना और पहली और दूसरी बौद्ध परिषदों पर केंद्रित है।
  • परिवार: परिवार विनय पिटक में अंतिम पुस्तक को संदर्भित करता है, इसमें विनय पिटक की पहली दो पुस्तकों में वर्णित नियमों का सारांश और विश्लेषण है। यह पुस्तक नवीनतम है और यह सीलोन में चौथे बौद्ध संयोग से भी पुरानी प्रतीत होती है। 

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अभिधम्मपिटक (Abhidhamma Pitaka)

अभिधम्मपिटक बौद्ध धर्म के दर्शन और सिद्धांतों पर केंद्रित है जिसमें कविता और कहानियों के अलावा मनोविज्ञान को संग्रहित किया गया है। 

अधिकांश विद्वानों के अनुसार, अभिधम्म पिटक के 7 कार्य बुद्ध के शब्द नहीं हैं। ये 7 पुस्तकें हैं

इसके खंड में: 

  1. धम्मसंगनी इसमें एक मैट्रिक्स है जो धम्मों और विचारों को सूचीबद्ध करता है।
  2. विभंगा: इसमें 18 अध्याय हैं जो बौद्ध धर्म के बारे में विभिन्न शिक्षाओं को कवर करते हैं, यह तीन खंडों में आता है, और तीसरे खंड में प्रश्न-उत्तर प्रारूप है।
  3. धतूकथा इसमें एक मैट्रिक्स और विभिन्न प्रकार के विषय शामिल हैं।
  4. कथावत्थु इसमें भाष्य और वाद-विवाद शामिल हैं।
  5. यामाका: यामाका जोड़े में प्रश्न पूछती है और समझती है।
  6. पठान: इसमें प्रश्न और उत्तर भी शामिल हैं।

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त्रिपिटक के तथ्य

त्रिपिटक कई सारे अनोखे तथ्य हैं जो आपको जानने जरूरी है, नीचे दिए गए तथ्य त्रिपिटक की खास बातों को भी दर्शाता है।

  • थेरवाद स्कूल त्रिपिटक, पाली में एकमात्र पूर्ण त्रिपिटक उपस्थित है।।
  • सर्वस्तिवाद, संस्कृत और चीनी द्वारा संस्कृत में लिखित और संरक्षित लगभग पूर्ण त्रिपिटक,
  • की 7 पुस्तकें अभिधम्मपिटकचीनी अनुवाद मेंजीवित हैं।
  • धम्मगुप्तका त्रिपिटक गांधारी में लिखा गया है।
  • महासंघिका और महिषासक हैं।

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प्रश्न और उत्तर

त्रिपिटक क्या होता है?

त्रिपिटक एक प्रकार का धर्म ग्रंथ होता है जिसमें बौद्ध धर्म के सभी नियमों और उपदेशों तथा पूजा करने की विधि को शामिल किया गया है।

त्रिपिटक क्या थे?

त्रिपिटक एक ग्रंथ थे जिसमें बौद्ध धर्म के सभी प्रकार के नियमों एवं उपदेशों को संग्रह किया गया है।

तीन टोकरी किसे कहा जाता है?

त्रिपिटक को “तीन टोकरी” कहा जाता है, क्योंकि त्रिपिटक नितिन ग्रंथ एक साथ शामिल किए जाते हैं और यह बौद्ध धर्म के सभी भागों को एकत्रित रूप से जोड़ता है।

त्रिपिटक की रचना कहां हुई थी?

त्रिपिटक की रचना भारत देश के बिहार राज्य में राजगीर में हुआ था जहां महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेशों को दिया था।

त्रिपिटक की क्या विशेषता है?

त्रिपिटक बौद्ध धर्म के सभी अनुशासन एवं नियमों को दर्शाता है जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। जिस प्रकार बाइबल ईसाई के लिए महत्वपूर्ण है उसी प्रकार त्रिपिटक बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण है।

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निष्कर्ष

त्रिपिटक बौद्ध धर्म के लिए ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार मुस्लिमों के लिए कुरान इसलिए हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।

आशा करता हूं त्रिपिटक क्या है (Tripitak Kya The) और त्रिपिटक की क्या विशेषताएं हैं तथा त्रिपिटक के कितने प्रकार हैं इनसे जुड़ी हुई जानकारियां आपको पसंद आई होगी।

जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और त्रिपिटक से जुड़ी हुई कोई भी प्रश्न आपके मन में हो तो वहां मैं नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।

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