Bharat Ke Rashtrapati Kaun Hai और Rashtrapati Ka Chunav Kaise Hota Hai यह जानना आपके लिए जरूरी है क्योंकि अक्सर 2021 के सरकारी परीक्षाओं में इसके अंतर्गत सवाल पूछ लिया जाता है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और भारत में सभी धर्म के लोग पाए जाते हैं। भारत में प्रधानमंत्री के पास सबसे अधिक संवैधानिक शक्तियां होती है इसके बाद भारत के राष्ट्रपति के पास संवैधानिक शक्तियां होती हैं।
आज हम लोग जानेंगे Bharat Ke Rashtrapati Kaun Hai और भारत में राष्ट्रपति बनने की संपूर्ण प्रक्रिया क्या क्या है?
राष्ट्रपति के बारे में कुछ खास बातें जैसे कि राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है, राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां, राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है, राष्ट्रपति शासन क्या है, राष्ट्रपति बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए? इत्यादि सभी विषयों के बारे में हम जानेंगे।
इन सभी विषयों पर चर्चा करने से पहले हम लोग यह जान लेते हैं कि इस वक्त Bharat Ke Rashtrapati Kaun Hai और भारत के राष्ट्रपति के कुछ इतिहास?
विषय सूची
भारत के राष्ट्रपति कौन हैं? ( Bharat Ke Rashtrapati Kaun Hai )
वर्तमान में भारत का राष्ट्रपति श्री रामनाथ रामनाथ कोविंद है, जो 25 जुलाई साल 2017 से कार्यरत है। रामनाथ कोविंद 2015 से 2017 तक बिहार के राज्यपाल हुआ करते थे।
उन्होंने अपने बचपन की पढ़ाई कानपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत डॉक्टर अमित कुमार श्रीवास्तव कॉलेज में की थी, जहां से उन्होंने कॉमर्स और कानून की डिग्री हासिल किया था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में परौख गांव में हुआ था। उनके पिता एक किसान हुआ करते थे।
श्री रामनाथ कोविंद ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के एक स्कूल में प्राप्त किया था, उसके बाद उन्होंने डॉ श्री अमित कुमार श्रीवास्तव कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई में डिग्री ली।
रामनाथ कोविंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवक थे बाद में वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बने। रामनाथ कोविंद जी 1994 में राज्य सभा सांसद चुने गए थे।
उन्होंने पहली बार 18 अगस्त 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति के द्वारा बिहार के राज्यपाल में नियुक्त किया गया था। उस समय Bharat Ke Rashtrapati Kaun थे तो उनका नाम प्रतिभा पाटिल Hai
उन्होंने 20 जून 2017 तक बिहार के राज्यपाल के रूप में अपना पद संभाला बाद में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद रामनाथ कोविंद को 14वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।
भारत के राष्ट्रपतियों की सूची
इस सूची में भारत के संविधान बनने से लेकर अभी तक के जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं उन सभी का नाम और कार्यकाल दिया गया है।
क्रमांक | राष्ट्रपति के नाम | जीवन काल | कार्यकाल |
1 | डॉ राजेंद्र प्रसाद | 1884-1963 | 26 जनवरी 1950- 13 मई 1962 |
2 | डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णा | 1888-1975 | 13 मई 1962- 12 मई 1967 |
3 | डॉ जाकिर हुसैन | 1897-1969 | 13 मई 1967- 3 मई 1969 |
4 | वाराहरगिरी वेंकटागिरी | 1884-1980 | 3 मई 1969- 20 जुलाई 1969 |
5 | न्यायमूर्ति मोहम्मद हिदायतुल्लाह | 1905-1992 | 20 जुलाई 1969- 24 अगस्त 1969 |
6 | वराहगिरी वेंकटगिरी | 1884-1980 | 24 अगस्त 1969- 24 अगस्त 1974 |
7 | फखरुद्दीन अली अहमद | 1905-1977 | 24 अगस्त 1974- 11 फरवरी 1977 |
8 | बीडी जत्ती | 1913- 2002 | 11 फरवरी 1977- 25 जुलाई 1977 |
9 | नीलम संजीव रेड्डी | 1913-1996 | 25 जुलाई 1977- 25 जुलाई 1983 |
10 | ज्ञानी जैल सिंह | 1916-1994 | 25 जुलाई 1982- 25 जुलाई 1987 |
11 | आर वेंकटरमन | 1910-2009 | 25 जुलाई 1987- 25 जुलाई 1992 |
12 | डॉ शंकर दयाल शर्मा | 1918-1999 | 25 जुलाई 1992- 25 जुलाई 1997 |
13 | के आर नारायण | 1920-2005 | 25 जुलाई 1997- 24 जुलाई 2002 |
14 | डॉ एपीजे अब्दुल कलाम | 1931-2015 | 25 जुलाई 2002- 24 जुलाई 2007 |
15 | प्रतिभा पाटिल | जन्म-1934 | 25 जुलाई 2007- 24 जुलाई 2012 |
16 | डॉक्टर प्रणब मुखर्जी | जन्म-1935 | 25 जुलाई 2012- 24 जुलाई 2017 |
17 | रामनाथ कोविंद | जन्म-1945 | 25 जुलाई 2017 से अब तक |
भारत का राष्ट्रपति कौन है और भारत के राष्ट्रपति के कुछ इतिहास हो के बारे में हम लोगों ने जान लिया है चलिए अब जानते हैं भारत में राष्ट्रपति क्या है और राष्ट्रपति बनने की संपूर्ण प्रक्रिया।
भारतीय राष्ट्रपति
संसदीय प्रणाली में दो तरह के प्रमुख होते हैं-राज्य का प्रमुख एवं शासन का प्रमुख। भारत में संसदीय प्रणाली अपनायी गयी है, अत: यहां भी दो तरह के प्रधान है, राष्ट्रपति राज्य का प्रधान है तथा प्रधानमंत्री शासन का।
भारतीय संविधान के Article 52 में कहा गया है कि भारत का एक राष्ट्रपति होगा और Article 53 के अनुसार, संघ की सम्पूर्ण कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी।
जिसका प्रयोग वह खुद या अपने अधीनस्थों के माध्यम से करेगा, अर्थात वह मंत्रिपरिषद की सलाह से कार्य करेगा।
राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ( Rashtrapati Ka Chunav Kaise Hota Hai )
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है। उसका निर्वाचन Article 54 के अनुसार एक निर्वाचक मंडल द्वारा 5 वर्ष के लिए किया जाता है।
जिसमें संसद के दोनों सदनों क्रमश: लोकसभा तथा राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य, राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य तथा केन्द्रशासित प्रदेशों दिल्ली व पुदुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
यहां पर यह ध्यान रखना आवश्यक है कि राज्य विधान परिषदों के निर्वाचित सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं ले सकते हैं।
निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (The System Of Proportional Representation By Means Of The Single Transferable Vote) के द्वारा होता है।
Article 55 के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि निर्वाचन में भिन्न-भिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व में प्रत्येक राज्य की जनसंख्या और विधानसभा के लिए निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या के अनुसार एकरूपता होगी।
संघ व समस्त राज्यों के बीच समानता रखी गयी है। सभी राज्यों से निर्वाचक मंडल के सदस्यों के मतों के कुल मूल्य व संसद के निर्वाचित सदस्यों के मतों के मूल्य में समानता होगी।
राष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता
- भारत का नागरिक हो।
- 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- वह लोकसभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो।
- वह संघ या राज्य या स्थानीय सरकार के अधीन किसी लाभप्रद पद पर कार्यरत न हो।
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल व मंत्रियों के लिए चुनाव लड़ने से पूर्व त्यागपत्र देना आवश्यक नहीं, किंतु वह संसद या विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता।
- उसे निर्वाचक मंडल के कम से कम 50 मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित एवं 50 अन्य मतदाताओं द्वारा समर्थित होना चाहिए।
- प्रत्येक उम्मीदवार भारतीय रिजर्व बैंक में 15,000 रुपये जमानत राशि के रूप में जमा करेगा। यदि उम्मीदवार कुल डाले गये मतों को 1/6 भाग प्राप्त करने में असमर्थ रहता है तो यह राशि जब्त कर ली जाती है।
राष्ट्रपति चुनाव में विवाद
- राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित सभी विवादों की जांच और विनिश्चय (अनु.71) उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जायेगा।
- निर्वाचन न्यायलय द्वारा अवैध घोषित किये जाने पर उसके द्वारा पद की शक्तियों के प्रयोग में किये गये कार्य अमान्य नहीं होंगे।
- निर्वाचन को सिर्फ निर्वाचक या प्रत्याशी ही चुनौती दे सकता है।
राष्ट्रपति को शपथ कौन दिलाता है ( Bharat Ke Rashtrapati Ko Kaun Sapath Dilata Hai )
राष्ट्रपति पद धारण करने से पूर्व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उसकी अनुपस्थिति में उस समय उपलब्ध वरिष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष अपने पद के कार्यपालन की शपथ लेता है।
तब जाकर कोई पूर्ण राष्ट्रपति बनता है
राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है
राष्ट्रपति पदग्रहण की तारीख से 5 वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बना रह सकता है।
लेकिन इस 5 वर्ष की अवधि के पूर्व भी वह उपराष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र दे सकता है या उसके द्वारा संविधान का अतिक्रमण करने पर महाभियोग प्रक्रिया के द्वारा हटाया जा सकता है।
राष्ट्रपति की सैलरी कितनी है
वर्तमान में राष्ट्रपति का वेतन 1,50,000 रुपये प्रतिमाह है। तथा पेंशन उसके वेतन की आधी प्रतिमाह कर दी गयी है।
राष्ट्रपति उन सभी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकार का हकदार होगा, जो संसद द्वारा समय-समय पर निश्चित किये जायेंगे।
इसके अलावा भूतपूर्व राष्ट्रपतियों को पूर्ण सुसज्जित आवास, फोन की सुविधा, कार, चिकित्सा सुविधा, यात्रा सुविधा, सचिवालयी स्टाफ एवं 60 हजार प्रतिवर्ष तक कार्यालयी खर्च मिलता है।
राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है
राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल के माध्यम से किया जाता है, जिसके सदस्य होते हैं
संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य ( तथा राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेने का अधिकार नहीं है।)
70वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल में दिल्ली व पांडिचेरी विधानसभा के निर्वाचि सदस्य।
11वें संविधान संशोधन, 1961 द्वारा यह व्यवस्था कर दो गयी है कि निर्वाचक मंडल में किसी स्थान के रिक्त होते हुए भी राष्ट्रपति का चुनाव कराया जा सकता है।
Article 55:
- राष्ट्रपति के निर्वाचन में भिन्न-भिन्न के प्रतिनिधि मंडल के मतदान में एकरूपता होगी।
- राज्य में आपस में ऐसी एकरूपता तथा समस्त राज्यों और संघ समतुल्यता प्राप्त करने के लिए संसद और प्रत्येक राज्य की विधानसभा का प्रत्येक निर्वाचित सदस्य ऐसे निर्वाचन में जिले मत देने के हकदार हैं, उसे विशेष विधि द्वारा निर्धारित किय जाता है।
- राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होता है।
राष्ट्रपति चुनाव याचिका
यदि राष्ट्रपति के चुनाव संबंधी कोई विवाद हो तो चुनाव परिणाम घोषित होने के 30 दिन के अन्दर इस आशय की याचिका Supreme Court में दायर करनी पड़ती है।
पुनर्निर्वाचन (Re-election): कोई भी व्यक्ति, जो राष्ट्रपति है या राष्ट्रपति का पद ग्रहण कर चुका है, पुनर्निर्वाचन का पात्र है (Article 57)। केवल डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने पुनः चुनाव लड़ा था।
राष्ट्रपति का चुनाव कहां होता है
राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानसभाओं के सदस्य अपने राज्य की राजधानियों में और संसद सदस्य या तो दिल्ली में या तो अपने राज्य की राजधानी में मतदान कर सकते हैं।
इस राष्ट्रपति चुनाव में एक बार को छोड़कर सभी बार प्रथम गणना में ही निर्धारित संख्या उम्मीदवार ने प्राप्त कर ली है।
1969 के राष्ट्रपति चुनाव में पहली और अंतिम बार दूसरे दौर की मतगणना करानी पड़ी थी, जब दूसरे दौर के बाद ही वीवी गिरि ने निर्धारित कोटे को प्राप्त किया था।
राष्ट्रपति पर महाभियोग
राष्ट्रपति को संविधान के उल्लंघन के आधार पर केवल महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है (Article 61) |
ऐसा प्रस्ताव लोकसभा या राज्यसभा में पेश हो सकता है। महाभियोग प्रस्ताव पेश करने का नोटिस इस सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर द्वारा 14 दिन पहले देना जरूरी है।
ऐसा प्रस्ताव उस सदन की कुल सदस्य संख्या के 2/3 बहुमत से पास होना जरूरी है। जब एक सदन प्रस्ताव पास कर देता है, तो प्रस्ताव दूसरे सदन में जाता है।
राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह स्वयं अथवा किसी प्रतिनिधि द्वारा लगाये गये आरोपों का खंडन कर सकता है।
जब यह सदन भी कुल संख्या के दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास करे, तो उसी दिन से उसका पद रिक्त माना है। ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ।
महाभियोग प्रस्ताव पास होने से पूर्व पद पर रहते हुए राष्ट्रपति ने जो कार्य किये ये भी कानूनी रूप से मान्य होते हैं।
राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे देता है
राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा होने से पहले भी अपने पद से त्यागपत्र दे सकते हैं। इसके लिए वे त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को संबोधित करते हैं।
अगर राष्ट्रपति का पद त्यागपत्र और आकस्मिक मृत्यु के कारण रिक्त हो तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का पद ग्रहण करता है।
अगर कोई उपराष्ट्रपति भी न हो, तो Supreme Court के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति पद सम्भालते हैं। राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाने पर छह महीने के अन्दर चुनाव करवाना जरूरी है।
सामान्य परिस्थितियों में राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने से पूर्व ही चुनाव सम्पन्न हो जाने चाहिए, किन्तु किसी कारण से ऐसा सम्भव न हो, तो वर्तमान राष्ट्रपति तब तक पद पर रहेंगे, जब तक नये राष्ट्रपति न चुने जायें; किन्तु ऐसा कभी नहीं हुआ।
राष्ट्रपति की शक्तियां (Powers Of The President)
संविधान में राष्ट्रपति की अनेक शक्तियों का उल्लेख किया गया है। अध्ययन की सुगमता की दृष्टि से राष्ट्रपति की शक्तियों को निम्नलिखित शीर्षकों में बांटा जा सकता है
- कार्यपालिका शक्तियां
- विधायी शक्तियां
- वित्तीय शक्तियां
- न्यायिक शक्तियां तथा
- आपातकालीन शक्तियां
कार्यपालिका की शक्तियां (Executive Powers )
भारतीय संघ की सभी कार्यकारी शक्तियां राष्ट्रपति में निहित हैं। Article 74 के अनुसार मंत्रिपरिषद की मदद से राष्ट्रपति इनके कार्यों पर नियंत्रण रखते हैं। इनके कार्यों का बंटवारा Article 77 के अनुसार राष्ट्रपति ही करते हैं।
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों, नियंत्रक महालेखा परीक्षक, महान्यायवादी, सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों व अन्य न्यायाधीशों, राज्यपालों, विदेशों में राजदूतों, संघ लोक सेवा आयोग के सभापति व सदस्यों, मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्तों, वित्त आयोग, भाषा आयोग तथा अनेक अन्य आयोगों के अध्यक्षों व सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।
वह मंत्रियों, महान्यायवादी, राज्य के राज्यपालों आदि को अपदस्थ कर सकते हैं।
विधायी शक्तियां (Legislative Powers)
संविधान के Article 85 (1) (2) के अंतर्गत राष्ट्रपति संसद का अधिवेशन आहूत व स्थगित कर सकता है, लोकसभा को भंग कर सकता है।
जब संसद साधारण विधेयक पास कर देती है, तो राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना वह कानून नहीं बन सकता।
राष्ट्रपति किसी भी कानून को अपने पास सुरक्षित वीटो पावर से रोक सकता है। वीटो चार प्रकार का होता है।
- आत्यंतिक विटो : यह वह वीटो है जब विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी अनुमति सुरक्षित रख लेता है।
- विशेषित विटो : विशेषित विटो वह है जिसे विधायिका अपेक्षाकृत अधिक बहुमत से निरस्त कर सकती है।
- निलंबित वीटो : निलंबित वीटो वह है जिसे विधायिका साधारण बहुमत से निरस्त कर सकती है।
- जेबी वीटो : जेबी वीटो वह है जब राष्ट्रपति विधेयक पर अनुमति देने में विलंब करता है । कुछ विशेष प्रकार के विधेयकों को संसद में पेश करने से पहले राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति लेनी होती है। जैसे: नए राज्यों का निर्माण या वर्तमान राज्यों की सीमा में परिवर्तन
इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति की प्रमुख विधायी शक्तियों में शामिल होता है
- वह साहित्य, विज्ञान, कला व समाज सेवा से जुड़े 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करता है।
- लोकसभा में दो आंग्ल-भारतीय समुदाय के व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है।
- वह चुनाव आयोग से परामर्श कर संसद सदस्यों की निरर्हता के प्रश्न पर निर्णय करता है।
- संसद में कुछ विशेष प्रकार के विधेयकों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश आवश्यक है। जैसे कि भारत की संचित निधि से खर्च संबंधी विधेयक, राज्यों के सीमा परिवर्तन या नये राज्य के निर्माण संबंधी विधेयक।
वित्तीय शक्तियां (Financial Powers)
संविधान के Article 112 के अनुसार राष्ट्रपति वार्षिक वित्तीय ब्योरा वित्तमंत्री के माध्यम से लोकसभा में पेश करते हैं। धन विधेयक पर राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य होती है।
राष्ट्रपति प्रतिवर्ष लेखा परीक्षक की रिपोर्ट और वित्त आयोग की सिफारिशें संसद को पेश करवाते हैं। आकस्मिक निधि पर उनका पूर्ण नियंत्रण होता है। वह संसद में पूरक, अतिरिक्त और लेखानुदान की मांग कर सकता है; वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करके आयोग का गठन भी करता है।
न्यायिक शक्तियां (Judicial Powers)
राष्ट्रपति Supreme Court व उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं।
संविधान के Article 72 के अनुसार उन्हें किसी अपराध के लिए दोषी ठहराये गये किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलम्बन, विराम या परिहार करने अथवा दंडादेश के निलंबन करने की शक्ति प्राप्त है।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां (Emergency Powers)
राष्ट्रपति को तीन प्रकार की आपातकालीन शक्तियां प्राप्त हैं
- सामान्य या राष्ट्रीय आपात स्थिति (Article 352)
- राज्यों में राष्ट्रपति शासन (Article 356)
- वित्तीय आपात स्थिति (Article 360 )
1. राष्ट्रीय आपात स्थिति
देश युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की सम्भावना अथवा स्थिति पैदा होने पर राष्ट्रपति सम्पूर्ण भारत अथवा किसी भाग में सामान्य आपात स्थिति लागू कर सकते हैं।
संविधान के 44वें संशोधन के द्वारा संवैधानिक प्रावधानों में कई परिवर्तन किये गये। ये इस प्रकार हैं
राष्ट्रपति इस प्रकार की घोषणा तभी करेंगे, जब मंत्रिमंडल लिखित रूप से राष्ट्रपति को ऐसा परामर्श दे।
आंतरिक के आधार पर ऐसी घोषणा नहीं हो सकती। इस प्रकार की घोषणा का अनुमोदन संसद एक मास के अन्दर करेगी। यह अनुमोदन दोनों सदनों में पृथक-पृथक सदस्यों की कुल संख्या के बहुमत तथा उपस्थित एवं वोट देने वालों के 2/3 बहुमत से किया जायेगा।
इस प्रकार की घोषणा का अनुमोदन संसद प्रत्येक छह मास बाद करेगी, अन्यथा घोषणा स्वतः समाप्त हो जायेगी।
आपातकाल की घोषणा पर विचार करने के लिए लोकसभा के 1/10 सदस्य संसद का विशेष अधिवेशन बुलाने का अनुरोध कर सकते हैं।
अगर लोकसभा सत्र में है तो ऐसा अनुरोध अध्यक्ष से, अगर सत्र में नहीं है, तो राष्ट्रपति से किया जायेगा। ऐसी सूचना मिलने या अनुरोध किये जाने पर 14 दिन के अंदर सांसद की विशेष बैठक बुलाई जाएगी।
इस प्रकार की घोषणा 1962 1965 व 1971 (पाकिस्तानी आक्रमण के समय) तथा 1975 (आंतरिक अशांति के भय के आधार पर) में की गयी थी।
घोषणा के प्रभाव (Effects Of Proclamation)
राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा के फलस्वरूप देश का संघात्मक स्वरूप एकात्मक बन जाता है।
संसद सातवीं अनुसूची के तीनों सूचियों पर कानून बना सकती है, मंत्रिमंडल राज्यों को कार्यपालिका आदेश जारी कर सकता है।
यदि आपात स्थिति की घोषणा युद्ध या बाह्य आक्रमण के कारण की गयी हो, तो Article 19 में प्रदत्त स्वतंत्रताएं स्वतः निलम्बित हो जाती हैं।
किन्तु अगर आपात स्थिति की घोषणा Article 359 के संदर्भ में की जाये, तो Bharat Ke Rashtrapati को आदेश जारी करना होगा कि Kaun से अधिकारों को निलम्बित किया जा रहा Hai। युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर उद्घोषित आपात स्थिति Article 359 से जुड़ी है।
Article 20 व 21 को निलम्बित नहीं किया जा सकता है।
राष्ट्रपति आदेश द्वारा यह तय कर सकते हैं कि संघ व राज्यों के बीच आय का वितरण किस आधार पर होगा। ऐसा आदेश शीघ्रातिशीघ्र संसद के दोनों सदनों के सामने रखना पड़ता है।
भारत के किसी भाग में भी आपात स्थिति लागू रहने पर संघ सरकार की आपात शक्ति सारे देश पर लागू होगी।
2. राज्यों में राष्ट्रपति शासन (President Rule In The States)
संविधान के Article 355 के अनुसार संघीय सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह राज्य की बाहरी आक्रमण व आंतरिक अशांति से रक्षा करे तथा यह भी सुनिश्चित करे कि उस राज्य का काम संविधान की धाराओं के अनुसार चल रहा है।
राज्यपाल के प्रतिवेदन पर या अन्यथा, यदि किसी राज्य का काम संविधान की धाराओं के अनुसार न चल रहा हो तो उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
स्वाधीनता के बाद राष्ट्रपति ने इस शक्ति का प्रयोग 115 बार किया है। सबसे पहले जून 1951 में पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, जब डॉ. गोपीचंद भार्गव के मंत्रिमंडल के त्यागपत्र देने के पश्चात कोई और मंत्रिमंडल नहीं बनाया जा सका।
वर्ष से अधिक जारी रखनी हो, तो संविधान के संशोधन द्वारा जारी रखी जा सकती है। ऐसा पहले पंजाब तथा अप्रैल 1995 से जम्मू-कश्मीर के लिए किया गया।
घोषणा के प्रभाव (Effects Of Proclamation) Article 356 के अंतर्गत की गयी घोषणा के अग्रलिखित परिणाम होते हैं
- राज्य की विधायी शक्ति केन्द्रीय संसद में निहित हो जाती है।
- राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में राज्य के कार्यपालिका कार्यों का निष्पादन करता है।
- राष्ट्रपति उच्च न्यायालय की शक्ति को छोड़कर राज्य की अन्य समस्त शक्तियां अपने हाथ में ले सकता है।
- अगर लोकसभा की बैठक न हो रही हो तो राष्ट्रपति राज्य की संचित निधि से व्यय के आदेश दे सकता है।
- Article 20 व 21 को छोड़कर राष्ट्रपति किसी मौलिक अधिकार को निलम्बित करने का आदेश दे सकता है।
3. वित्तीय आपात स्थिति (Financial Emergency)
Article 360 के अनुसार राष्ट्रपति वित्तीय आपात स्थिति की घोषणा कर सकते हैं; अगर उन्हें यह विश्वास हो जाये कि भारत अथवा उसके किसी भाग में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है जिससे उसकी वित्तीय स्थिरता एवं साख को खतरा है।
इस प्रकार की घोषणा का संसद 2 मास के अन्दर अनुमोदन करती है। इसे जारी रखने की सीमा निश्चित नहीं है। आज तक इस प्रकार की आपात स्थिति कभी लागू नहीं की गयी।
घोषणा का प्रभाव (Effect Of Proclamation)
जब तक इस प्रकार की घोषणा लागू रहेगी, तब तक:
- केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों को आवश्यक आर्थिक निर्देश दे सकती है।
- संघ या राज्य के कर्मचारियों के वेतन भुगतान को रोका जा सकता है, उनके वेतन व भत्तों में कटौती की सकती हैं,
- उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों के कर्मचारिय के वेतन में भी कटौती सम्भव है।
- राज्य के विधानमंडल द्वारा पारित प्रत्येक वित्तीय विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति आवश्यक है।
राष्ट्रपति का विशेषाधिकार
संविधान के Article 361 के द्वारा राष्ट्रपति को यह विशेषाधिकार प्रदान किया गया है कि वह अपने पद के किसी कर्त्तव्य के निर्वहन तथा शक्तियों के प्रयोग में किये जाने वाले किसी कार्य के लिए न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं होगा।
राष्ट्रपति के विरुद्ध उसकी पदावधि के दौरान किसी न्यायालय में किसी प्रकार की दाण्डिक कार्यवाही नहीं चल सकती तथा न्यायालय को उसे बंदी बनाने या कारावासित करने की शक्ति नहीं है।
इन शक्तियों के अतिरिक्त भारत के राष्ट्रपति को सैनिक, कूटनीतिक, राज्यों के संबंध में तथा Supreme Court से परामर्श लेने की शक्ति प्राप्त है। तीनों सेवाओं की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के पास है।
वे राजदूतों, राजनयिक प्रतिनिधियों तथा वाणिज्य दूतों की नियुक्ति करते हैं विदेशों से आये राजनयिक प्रतिनिधियों के स्वीकार करते हैं। Article 143 के अंतर्गत राष्ट्रपि सार्वजनिक महत्त्व के मामलों पर Supreme Court से परामर्श करते हैं।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? ( Bharat Ke Pratham Rashtrapati Kaun Hai )
डॉ राजेंद्र प्रसाद आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। राजेंद्र प्रसाद जी 26 जनवरी 1950 से लगभग 13 वर्षों से अधिक समय तक भारत के राष्ट्रपति बने रहे।
उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हुआ करते थे और उपराष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन। डॉ राजेंद्र प्रसाद गांधीजी के सबसे करीबी माने जाते थे।
डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सिवान जिले में हुआ था। डॉ राजेंद्र प्रसाद कार्य से एक वकील हुआ करते थे। अपने छात्र जीवन के दौरान हुए कोलकाता में वार्षिक बैठक के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सेवक के रूप में चुना गया था।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति कौन है? ( Bharat Ke Purb Rashtrapati Kaun Hai )
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणव मुखर्जी है। वह 2012 से 2016 तक राष्ट्रपति बने रहे। प्रणब मुखर्जी भारत के 13 राष्ट्रपति थे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल राज्य के बीरभूम जिले के मीरात गांव में हुआ था।
उन्हें स्वतंत्र भारत के पहले बंगाली राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। 2019 में भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया।
भारत के प्रथम महिला राष्ट्रपति कौन है? ( Bharat Ke Rashtrapati Kaun Hai )
प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति थी जिन्हें 2006 में भारत के 12वीं राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। उस समय भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह थे।
प्रतिभा पाटिल जी का जन्म 19 दिसंबर 1934 को जलगांव जिले में हुआ था जो महाराष्ट्र में पड़ता है। वह वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अपना पद संभाल रही है।
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प्रश्न और उत्तर
राष्ट्रपति किसी भी देश के सबसे ऊंचे दर्जे का संवैधानिक पद है जिस पर बैठने वाले को राष्ट्रपति कहते हैं इनके पास बहुत सी संविधानिक शक्तियां होती हैं जिनका इस्तेमाल यह देश के हितों के लिए करते हैं।
इस समय भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद है।
राष्ट्रपति को इंग्लिश में “President” कहते हैं। अन्य यूरोपीय देशों में प्रधानमंत्री से अधिक राष्ट्रपति के पास संवैधानिक शक्तियां होती है।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे। डॉ राजेंद्र प्रसाद को वर्ष 1950 में भारत का राष्ट्रपति चुना गया था।
भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल जी थी जिन्हें 2006 में भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था।
राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देता है, यदि कोई उपराष्ट्रपति मौजूद नहीं है तो राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र Supreme Court के मुख्य न्यायाधीश को देता है।
निष्कर्ष
हमें आशा है कि इस जानकारी को पूरा पढ़ने के बाद आपको राष्ट्रपति से जुड़ी हुई सभी प्रश्नों का उत्तर मिल गया होगा।
हमने इस जानकारी में राष्ट्रपति के सभी विषयों पर चर्चा किया है जैसे Bharat Ke Rashtrapati Kaun Hai,राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां, राष्ट्रपति पर महाभियोग, राष्ट्रपति का इतिहास, भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति
Rashtrapati Ka Chunav Kaise Hota Hai, राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है, राष्ट्रपति के त्याग पत्र, राष्ट्रपति की शक्तियां, राष्ट्रपति बनने के लिए क्या-क्या योग्यता होनी चाहिए।
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2 thoughts on “भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है और अभी भारत के राष्ट्रपति कौन है? पूरी जानकारी”