आज की इस आर्टिकल में हम लोग बात करने वाले हैं मताधिकार किसे कहते हैं और सार्वभौमिक मताधिकार आंदोलन किसे कहते हैं तथा मताधिकार का महत्व क्या है? एवं मताधिकार से जुड़ी हुई सभी महत्वपूर्ण विषय।
भारत में मताधिकार की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है, मताधिकार एक शक्ति है जिसका उपयोग हर भारतीय नागरिक को करना चाहिए जिससे कि देश की प्रगति तेजी से हो सके।
हम अपना बहुमूल्य मत प्रदान करके एक अच्छे नेता का चुनाव कर सकते हैं इसके अलावा मताधिकार मैं आपको कई सारी दूसरी शक्ति भी प्रदान की जाती है जिसे हम आगे समझेंगे, आइए जाने मताधिकार किसे कहते हैं और मताधिकार का महत्व क्या है?
विषय सूची
मताधिकार किसे कहते हैं
देश के नागरिकों को अपने मत से अपना प्रतिनिधि चुनने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं यह एक महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकार है जो देश के नागरिकों को दिया जाता है।
इस अधिकार के तहत देश में रहने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु वाले नागरिक अपना मत देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकता है।
जब देश मे के अंदर चुनाव होता है तो उसमें आम नागरिक अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए मताधिकार का उपयोग करते हैं जो चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह से गुप्त रहता है।
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मताधिकार के निम्नलिखित सिद्धांत है:
- जनजातीय सिद्धान्त
- सामन्ती सिद्धांत
- प्राकृतिक सिद्धांत
- वैधानिक सिद्धांत
- नैतिक सिद्धांत
- सर्वव्यापी वयस्क मताधिकार का सिद्धांत
- बहुल मताधिकार का सिद्धांत
- भारीकृत मताधिकार का सिद्धांत
मताधिकार के सिद्धांत का तात्पर्य यह है कि किस आधार पर मतदान करवाया जा रहा है या नागरिक किस आधार पर अपना मत दे रहे हैं।
सार्वभौमिक मताधिकार किसे कहते हैं
किसी निश्चित आयु सीमा वाले व्यक्ति को बिना किसी धर्म, जाति, समुदाय, लिंग, क्षेत्र, रंग भेदभाव के अपना मत देने की अनुमति को ही सार्वभौमिक मताधिकार कहते हैं।
भारत में नागरिकों के पास सार्वभौमिक मताधिकार होता है जिससे किसी भी 18 वर्ष से अधिक वाले नागरिक अपना मत दे सकते हैं।
सार्वभौमिक मताधिकार से प्रतिनिधि का चुनाव और अच्छा एवं अधिक बहुमत से होता है क्योंकि इसमें निश्चित आयु वाले सभी नागरिक अपना मत देते हैं जो किसी भी देश के लिए एक अच्छी बात होती है।
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अब तक हमने मताधिकार किसे कहते हैं और सार्वभौमिक मताधिकार किसे कहते हैं तथा मताधिकार के सिद्धांतों को जाना है जिसके आधार पर चुनाव कराए जाते हैं।
मताधिकार की विशेषताएं
मताधिकार केवल एक अधिकार ही नहीं है अपितु यह एक रास्ता है जिसके माध्यम से देश की सभी संवैधानिक एवं गैर संवैधानिक चीजों में तालमेल बन पाता है।
मताधिकार की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
- मताधिकार सभी नागरिकों को समान रूप से प्रदान है
- प्रत्येक नागरिक का महत्व समान होता है
- मताधिकार के जरिए नागरिक देश के राजनीतिक मुद्दों से जुड़ पाते हैं
- मताधिकार हमेशा समानता के सिद्धांतों पर काम करता है
- इसमें लिंग का भेद, जाति का भेद और रंगों का भेद नहीं होता है।
- इसके जरिए देश के शासन को शांतिपूर्वक बदला जा सकता है
- इसके जरिए लोगों को औपचारिक रूप से राजनीतिक शिक्षा मिलती है
- मताधिकार के जरिए देश के शासन को कभी भी बदला जा सकता है
- मताधिकार लोकतांत्रिक भावनाओं के अनुकूल काम करता है।
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मताधिकार का महत्व
मताधिकार का महत्व देश के सभी नागरिकों के लिए अत्यंत उपयोगी होता है जो सीधे आपके जीवन को प्रभावित करता है।
मताधिकार के निम्नलिखित महत्त्व है:
- राजनीतिक चेतना का विकास होता है।
- देश के विभिन्न समस्याओं को आधार बनाकर मत दिया जा सकता है।
- मताधिकार के कारण ही जनता और देश के नेताओं के बीच संतुलन स्थापित हो पाता है।
- यह आपके आत्मसम्मान को बढ़ाता है।
- मताधिकार के द्वारा ही सरकार को संवैधानिक शक्ति प्राप्त होती है।
- जितने अधिक लोग अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे देश का विकास उतना ही अधिक होगा।
- राष्ट्रीय एकता बनाए रखने में अमृत का काम करती है।
- देश के व्यक्तिगत विकास में मताधिकार का सबसे बड़ा योगदान होता है।
- मताधिकार सरकार की कार्यकुशलता को बढ़ाता है।
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भारत में मताधिकार की आयु है
भारतीय संविधान के अनुसार 18 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी नागरिकों को मताधिकार प्राप्त है जिसका उपयोग वे अपना मत देने के लिए कर सकते हैं।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां 18 वर्ष की आयु से अधिक प्रत्येक नागरिक को अपना मत प्रदान करने का अधिकार है चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, समुदाय, क्षेत्र, लिंग और रंग का ही क्यों ना हो।
मताधिकार का उपयोग करने के लिए 3 शर्तें रखी गई है:
- मतदान करने वाला व्यक्ति विदेशी नहीं होनी चाहिए।
- मतदान करने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए।
- मतदान करने वाले व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
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क्या मताधिकार सबको मिलना चाहिए?
हां, मताधिकार सबको मिलना चाहिए क्योंकि यह लोगों में समानता की भावना उत्पन्न करता है इसलिए मत का अधिकार सबके पास होनी चाहिए यह अत्यंत आवश्यक है।
हालांकि, क्या मताधिकार सब को मिलनी चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर बहुत जटिल है क्योंकि इस विषय पर विभिन्न शोधकर्ताओं की राय अलग-अलग मिलते हैं।
जिस प्रकार मताधिकार देश के लिए अच्छा है उसी प्रकार यह देश को नुकसान भी पहुंचा सकता है क्योंकि मताधिकार के कारण लोगों में एक मत जल्दी नहीं बन पाती है और इस कारण देश की प्रगति में रुकावट पैदा होती है जिससे लोकतांत्रिक देश तेजी से विकास करने में असमर्थ हो जाता है।
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ध्यान दें: एक लोकतांत्रिक देश एक राज तांत्रिक देश के मुकाबले धीरे विकास करता है, मताधिकार इसका सबसे बड़ा कारण है।
मताधिकार आंदोलन किसे कहते हैं?
जब किसी भी निश्चित समुदाय, जाति, क्षेत्र, रंग और लिंग के लोगों को यह लगता है कि उसे मत का अधिकार नहीं दिया गया है तब वह अपना मत अधिकार पाने के लिए आंदोलन करता है जिसे मताधिकार आंदोलन कहते हैं।
उदाहरण के रूप में, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान महिला समुदाय ने अपने मताधिकार को प्राप्त करने के लिए मताधिकार आंदोलन की शुरुआत की थी जिसे महिला मताधिकार आंदोलन भी कहते हैं।
इसके लिए महिलाओं को अत्यंत संघर्ष करना पड़ा तब जाकर उन्हें उनका मताधिकार मिला बाद में अन्य देश भी उनके समर्थन में आए।
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अभी भी कई ऐसी जगह है जहां किसी निश्चित चीजों में किसी विशेष जाति, समुदाय, रंग, क्षेत्र और लिंग के लोगों को मताधिकार प्राप्त नहीं है।
मतदान का अधिकार संवैधानिक या कानूनी अधिकार है
मतदान का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 में वर्णित किया गया है इसके अनुसार किसी भी वयस्क नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो वह अपना मतदान दे सकता है चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, समुदाय, लिंग, क्षेत्र या रंग से ही संबंधित क्यों ना हो उसे अपना मतदान देने का पूर्ण अधिकार है।
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भारत में मतदान पूरी तरह से संवैधानिक है, बस कोई विदेशी व्यक्ति जो भारत में रहता है या जिस की मानसिक स्थिति ठीक ना हो वह व्यक्ति अपना मतदान नहीं दे सकता है।
प्रश्न और उत्तर
देश का कोई भी नागरिक जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक है वह अपना मतदान दे सकता है जिसे सार्वभौमिक मताधिकार कहते हैं।
देश के सभी नागरिकों में समानता की भावना बनी रहे इसके लिए मताधिकार अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारतीय संविधान में मताधिकार से जुड़ी हुई वर्णन अनुच्छेद 325 और 326 में मिलती है, जिसमें देश में रहने वाले सभी नागरिकों को समान रूप से मताधिकार दिया गया है।
हां, मताधिकार सब को मिलनी चाहिए क्योंकि देश में सरकार और जनता के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए मताधिकार का होना अत्यंत जरूरी है।
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निष्कर्ष
देश में रहने वाले नागरिकों के अंदर राष्ट्रवाद की भावना के ऊपर निर्भर करता है कि मताधिकार किसी भी देश के लिए अच्छा होगा या बुरा।
आशा करता हूं आपको हमारी आज की मताधिकार किसे कहते हैं? और सार्वभौमिक मताधिकार किसे कहते हैं तथा मताधिकार का महत्व और विशेषता क्या है? के ऊपर यह जानकारी अच्छी लगी होगी।
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