न्यूरोट्रांसमीटर जीव विज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमें इसके बारे में सब कुछ पता होना चाहिए जैसे न्यूरोट्रांसमीटर क्या है और न्यूरोट्रांसमीटर के उदाहरण तथा न्यूरोट्रांसमीटर किस प्रकार से कार्य करता है इत्यादि।
यह शरीर के अंदर जटिल रचनाओं में पाई जाती है। अभी तक वैज्ञानिकों ने लगभग 100 से अधिक प्रकार के न्यूरोट्रांसमीटर की खोज कर ली है। आगे की जानकारी में हम न्यूरोट्रांसमीटर के महत्व को भी जानेंगे।
विषय सूची
न्यूरोट्रांसमीटर क्या है?
न्यूरोट्रांसमीटर एक प्रकार का रासायनिक संदेशवाहक है जो एक रासायनिक सिनैप्स में मौजूद संकेतों को एक न्यूरॉन से दूसरे तक पहुंचाता है। न्यूरोट्रांसमीटर अणु होते हैं जो न्यूरॉन्स से मांसपेशियों तक या विभिन्न न्यूरॉन्स के बीच संकेतों को संचारित करते रहते हैं।
अरबों न्यूरोट्रांसमीटर अणु हमारे दिमाग को काम करने के लिए लगातार काम करते रहते हैं, हमारे सांस लेने से लेकर हमारे दिल की धड़कन तक हमारे सीखने और एकाग्रता को भी न्यूरोट्रांसमीटर व्यवस्थित करता है। न्यूरोट्रांसमीटर विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक कार्यों जैसे भय, मनोदशा और आनंद को भी प्रभावित करते हैं।
यह भी पढ़ें: लोकोमोटर विकलांगता क्या है?
न्यूरोट्रांसमीटर का कार्य क्या होता है?
न्यूरोट्रांसमीटर का कार्य तंत्रिका कोशिकाओं से लक्ष्य कोशिकाओं तक संकेतों को संचारित करना होता है। ये लक्ष्य कोशिकाएं मांसपेशियों, ग्रंथियो या शरीर में मौजूद अन्य नसों में हो सकती हैं।
मस्तिष्क को कई आवश्यक कार्यों को करने के लिए न्यूरोट्रांसमीटर की आवश्यकता होती है जिनमें निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:
- हृदय गति
- सांस लेना
- नींद चक्र
- पाचन
- मनोदशा
- एकाग्रता
- भूख
- पेशी गति
तंत्रिका तंत्र शरीर के अंगों, मनोवैज्ञानिक कार्यों और शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करने में सहायता करती है। शरीर में मौजूद तंत्रिका कोशिकाएं जिन्हें न्यूरॉन्स भी कहा जाता है उसी में न्यूरोट्रांसमीटर प्रणाली शामिल है जो कि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
तंत्रिका कोशिकाएं तंत्रिका आवेगों को विभिन्न रास्तों में करती है। तंत्रिका कोशिकाएं न्यूरोट्रांसमीटर जारी करके ऐसा करते हैं जो कि एक रसायन है जो अन्य कोशिकाओं को संकेत देते हैं।
न्यूरोट्रांसमीटर कोशिकाओं के बीच यात्रा करके और लक्ष्य कोशिकाओं पर विशिष्ट रिसेप्टर्स को जोड़कर अपने संदेशों को पहुंचाती है। शरीर में स्थित प्रत्येक न्यूरोट्रांसमीटर एक अलग रिसेप्टर से जुड़ता है – उदाहरण के लिए, डोपामाइन अणु डोपामाइन रिसेप्टर्स से जुड़ते हैं।
यह भी पढ़ें: लिपोमा बीमारी क्या होता है?
न्यूरोट्रांसमीटर अपने संदेश देने के बाद को पहुंचाने के बाद खत्म हो जाता है और दोबारा री साइकिल की प्रक्रिया में भाग लेता है।
न्यूरोट्रांसमीटर के प्रकार
न्यू ट्रांसमीटर को उनके कलाली के आधार पर विभिन्न प्रकार में बांटा गया है। विभिन्न प्रकार के न्यूरोट्रांसमीटर निम्नलिखित रुप से है:
- उत्तेजक न्यूरोट्रांसमीटर : इस प्रकार के न्यूरोट्रांसमीटर का न्यूरॉन पर उत्तेजक प्रभाव पड़ता है, जिसका अर्थ है कि वे पोटेंशिअल को फायर करने की संभावना को बढ़ाते हैं। एपिनेफ्रीन और नॉरपेनेफ्रिन दो उत्तेजक न्यूरोट्रांसमीटर हैं।
- निरोधात्मक न्यूरोट्रांसमीटर : इस प्रकार के न्यूरोट्रांसमीटर का न्यूरॉन पर निरोधात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसका अर्थ है कि वे पोटेंशिअल के फायरिंग की संभावना कम होती है। उदाहरण के लिए, सेरोटोनिन और गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड (GABA)
- मॉड्यूलर न्यूरोट्रांसमीटर : ये न्यूरोट्रांसमीटर, जिन्हें अक्सर न्यूरोमोड्यूलेटर के रूप में भी जाना जाता है, ये एक ही समय में बड़ी संख्या में न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करते हैं। ये अन्य रासायनिक दूतों के प्रभाव को भी प्रभावित करने में सक्षम हैं।
न्यूरोट्रांसमीटर के कुछ अन्य प्रकार की सूची
न्यूरोट्रांसमीटर के प्रकार | न्यूरोट्रांसमीटर के उदाहरण |
अमीनो अम्ल | गामा एमिनो-ब्यूटिरिक एसिडग्लूटामेट |
पेप्टाइड्स | ऑक्सीटोसिनएंडोर्फिन |
मोनोअमाइन्स | एपिनेफ्रीननॉरपेनेफ्रिनडोपामाइनसेरोटोनिन |
प्यूरीन | एडेनोसाइनएडेनोसाइन ट्रायफ़ोस्फेट |
गैसोट्रांसमीटर | नाइट्रिक ऑक्साइडकार्बन मोनोआक्साइड |
यह भी पढ़ें: Test Tube Baby क्या होता है
न्यूरोट्रांसमीटर की पहचान कैसे कर सकते हैं?
निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करके आप यह जान सकते हैं कि कोई रसायन एक न्यूरोट्रांसमीटर रसायन है या नहीं:
- रसायन का उत्पादन न्यूरॉन के अंदर होना चाहिए
- न्यूरॉन में आवश्यक अग्रदूत एंजाइम होना चाहिए
- इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए
- रसायन को प्रीसानेप्टिक न्यूरॉन द्वारा छोड़ा जाना चाहिए
- पोस्ट-सिनैप्टिक न्यूरॉन पर मौजूद रिसेप्टर्स पर बांधना चाहिए
यह भी पढ़ें: विडाल टेस्ट क्या है
प्रश्न और उत्तर
न्यूरोट्रांसमीटर एक प्रकार का रासायनिक संदेशवाहक होता है जो एक रासायनिक सिनैप्स में मौजूद संकेतों को एक न्यूरॉन से दूसरे तक पहुंचाता है।
जो रासायनिक द्रव्य मस्तिष्क द्वारा दिए गए संकेतों को एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन के रास्ते संकेतों को किसी निश्चित कोशिका तक पहुंचाते हैं उसे न्यूरोट्रांसमीटर कहते हैं।
पार्किंसंस रोग, अल्जाइमर रोग और अवसाद रोग न्यूरोट्रांसमीटर से जुड़ा हुआ रोग है। न्यूरोट्रांसमीटर रोग आनुवंशिक रूप से अपने माता-पिता से विरासत में मिल सकते हैं। रीढ़ की हड्डी के स्तंभ से एकत्रित मस्तिष्कमेरु द्रव की जांच करके इन रोगों का इलाज किया जाता है।
न्यूरोट्रांसमीटर की गतिविधि को निम्नलिखित तरीकों से रोका और स्थित जा सकता है:
-एंजाइम न्यूरोट्रांसमीटर को निष्क्रिय करने में मदद कर सकते हैं
-यह रिसेप्टर से दूर जा सकता है
-इसे न्यूरॉन द्वारा वापस लिया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: सैनिटाइजर क्या है? सैनिटाइजर को हिंदी में क्या कहते हैं
निष्कर्ष
न्यूरोट्रांसमीटर के बिना हम अपने दिमाग के द्वारा दिए गए निर्देशों को पूरा नहीं कर सकते हैं क्योंकि न्यूरोट्रांसमीटर के जरिए ही हमारे दिमाग निश्चित संकेतों को किसी निश्चित कोशिका तक पहुंचाया जाता है।
हमें आशा है कि आप को न्यूरोट्रांसमीटर क्या है और न्यूरोट्रांसमीटर के उदाहरण तथा न्यूरोट्रांसमीटर के प्रकार का महत्व और कार्य सिद्धांतों से जुड़ा हुआ यह जानकारी आपको अच्छा लगा होगा।
न्यूरोट्रांसमीटर से जुड़ी हुई या महत्वपूर्ण जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ नीचे दिए गए फेसबुक और व्हाट्सएप पर बटन को दबाकर अभी शेयर करें।
न्यूरोट्रांसमीटर क्या है और उसके उदाहरण से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव आपके मन में हो तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर बता सकते हैं हम इसका उत्तर आपको अवश्य देंगे।
इसी प्रकार की शिक्षा से भरी हुई महत्वपूर्ण जानकारियों को रोजाना अपने फोन को प्राप्त करने के लिए आप हमारे वेबसाइट के नोटिफिकेशन को सब्सक्राइब कर सकते हैं जिससे कि हर महत्वपूर्ण जानकारी का नोटिफिकेशन आपको मिल जाएगा।
1 thought on “न्यूरोट्रांसमीटर क्या है इस के उदाहरण सहित वर्णन हिंदी में”