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वृक्ष रोपण कृषि क्या है? वृक्ष रोपण कृषि की विशेषताएं का संपूर्ण वर्णन

हम सभी ने कभी ना कभी वृक्ष रोपण कृषि को होते देखा है पर हम कृषि के इस प्रकार से अच्छी तरह से अवगत नहीं है जैसे कि वृक्ष रोपण कृषि क्या है और कैसे किया जाता है? तथा वृक्ष रोपण कृषि की विशेषताएं क्या है? आइए इसे विस्तार से जानते हैं।

वृक्ष रोपण कृषि हमारे देश के विकास में एक अहम भूमिका निभाती है क्योंकि यह कृषि केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए नहीं होती है इसका इस्तेमाल उद्योग के स्तर पर किया जाता है।

वृक्ष रोपण कृषि को दूसरे नामों से भी जाना जाता है जैसे रोपण कृषि, वाणिज्य कृषि और बागानी कृषि

यहां हम वृक्ष रोपण कृषि क्या है और उनकी विशेषताओं के साथ साथ हम यह भी देखेंगे कि उनका इस्तेमाल कितने बड़े पैमाने पर किया जाता है।

वृक्ष रोपण कृषि क्या है?

वृक्ष रोपण कृषि क्या है? वृक्ष रोपण कृषि की विशेषताएं का संपूर्ण वर्णन

वृक्ष रोपण कृषि एक प्रकार का व्यावसायिक खेती है जिसमें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के एक बड़े भूभाग में उच्च किस्म के बीज, कीटनाशक और यंत्र के साथ किसी निश्चित फसलों की खेती की जाती है इस तरह की खेती में अत्यधिक पूंजी और श्रम की आवश्यकता होती है।

रोपण कृषि को करने के लिए अच्छे यातायात की जरूरत होती है जिससे कि कृषि में उगाया गया फसल बाजारों तक पहुंच सके।

रोपण कृषि मैं सिर्फ निश्चित फसलों को पूरे साल के लिए उगाया जाता है जिससे कि बाजारों में उस फसल की पूर्ति होती रहे।

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इसमें मुख्यता ऐसे फसलों को उगाया जाता है जिस वृक्ष एक बार लगाने पर 5 से 10 साल तक उस से  फसलों की प्राप्ति होती रहे, उदाहरण के लिए आम, केला, काजू, चाय आदि।

वृक्ष रोपण कृषि की प्रमुख विशेषताएं

vriksh ropan krshi ki visheshtaaen kya hai
  1. एक ही किस्म के फसलों की खेती : रोपण कृषि में केवल एक ही प्रकार के फसलों को बड़े भूभाग में उगाया जाता है, उदाहरण गन्ना, केला, चाय, काजू आदि।
  2. बहुवर्षीय फसलों की प्रधानता : वृक्ष रोपण कृषि में ऐसे फसलों की प्रधानता है जिसे लगाने पर कुछ सालों तक फसलों की प्राप्ति होती रहे, उदाहरण केला, कपास, चाय आदि।
  3. बड़े भूभाग की जरूरत : इस प्रकार के कृषि में एक बड़े भूभाग की जरूरत होती है जिससे कि फसलों का उत्पादन अधिक मात्रा में किया जा सके।
  4. आधुनिक उपकरण : वृक्ष रोपण कृषि को करने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है जिससे की खेती सहज रूप से किया जा सके।
  5. उन्नत किस्म के बीज : रोपण कृषि को करने में सिर्फ उन्नत किस्म के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे फसलों की गुणवत्ता बनी रहे।
  6. कृषि रसायनों का प्रयोग : इसमें सर्वाधिक कृषि रसायनों का प्रयोग किया जाता है जिससे कि  फसलों का उत्पादन सही से हो सके, उदाहरण  कीटनाशक, यूरिया आदि।
  7. कच्चे माल का उत्पादन : रोपण कृषि में उत्पन्न फसलों को कच्चे माल के रूप में  बड़े बड़े कारखानों में भेजा जाता है।
  8. उचित यातायात की सुविधा : वृक्ष रोपण कृषि को सफल बनाने के लिए उचित यातायात की जरूरत है जिससे कि बाजार से खेत का संपर्क बना रहे।
  9. सर्वाधिक पूंजी का निवेश : एक सफल वृक्ष रोपण कृषि को करने के लिए आपको बड़े पूंजी का निवेश करना पड़ता है। 
  10. बाजारों का नियंत्रण : इस तरह के कृषि का प्रभाव सीधे तौर पर  सामान्य बाजारों पर पड़ता है जिससे कि महंगाई घटती और बढ़ती है।

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वृक्ष रोपण कृषि से क्या समझते हैं?

वृक्ष रोपण कृषि में ऐसे फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है जिससे कुछ वर्षों तक फसलों की प्राप्ति निरंतर होती रहे, इसके अंतर्गत केला, चाय, गन्ना, आम, नारियल, मिर्च, रबर इत्यादि फसलों को उगाया जाता है।

रोपण कृषि के प्रधान क्षेत्र दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया, मध्य अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र हैं जहां पर इस तरह की कृषि मुख्यता की जाती है।

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वृक्ष रोपण कृषि को सफलतापूर्वक करने के लिए आपको अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है जिससे कि अत्याधुनिक मशीन, उच्च किस्म के बीज, अधिक मजदूर, बड़े पैमाने पर कीटनाशक आदि का व्यवस्था किया जा सके।

वृक्ष रोपण कृषि के तथ्यों की विशेषताएं

वृक्ष रोपण कृषि भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है जिसके अंतर्गत  केला, काजू, चाय, आम, कपास आदि का उत्पादन होता है।

वृक्षारोपण कृषि एक बड़े पैमाने पर की जाने वाली कृषि है जिसमें बड़े आकार के खेत होते हैं जिस पर एक ही प्रकार के फसल की खेती की जाती है। इसे कई बार मोनोकल्चर के रूप में जाना जाता है।

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वृक्ष रोपण कृषि ने वैज्ञानिक तरीकों से फसल की गुणवत्ता बनाए रखने का पूरा ध्यान रखा गया है। इस प्रकार की कृषि आधुनिक होने के साथ-साथ पूंजीवादी कृषि होती है।

चूंकि रोपण कृषि में अधिकांश कार्य मानव श्रम द्वारा किया जाता है, इसलिए इस प्रकार की कृषि को श्रम प्रधान कृषि भी कहा जाता है।

वृक्ष रोपण कृषि में एक बार उगाई जाने वाली रोपण फसलें 10 से 15 वर्षों तक उत्पादन प्रदान करती हैं।

वृक्ष रोपण कृषि मैं चाय, कॉफी, रबर, कोको, काजू, मसाले आदि सबसे महत्वपूर्ण फसलें हैं। उदाहरण के लिए, केरल में रबड़ के बागान और असम में चाय के बागान जहां चाय की खेती पूरे साल की जाती है।

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भारत के अलावा मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम, कैरिबियन द्वीप समूह महत्वपूर्ण देश हैं जहां वृक्षारोपण कृषि की प्रधानता देखी जाती है।

प्रश्न और उत्तर

वृक्ष रोपण कृषि किसे कहते हैं?

बड़े भूभाग में एक ही प्रकार के फसलों की अत्यधिक मात्रा में खेती को ही वृक्ष रोपण कृषि कहते हैं तथा इस में उगाई जाने वाली फसल 5 से 10 साल तक फसल की पूर्ति करती रहती है।

रोपण कृषि की क्या विशेषताएं हैं?

रोपण कृषि की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें एक ही प्रकार के फसल को बड़ी मात्रा में उगाया जाता है तथा इस कृषि को सफलतापूर्वक निर्वाह करने के लिए अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।

भारत में कौन सी कृषि सबसे अधिक की जाती है?

भारत में वृक्षारोपण कृषि सबसे अधिक मात्रा में की जाती है जिसके अंतर्गत केला, चाय और कपास जैसी कई सारे फसलों को उगाया जाता है।

वृक्ष रोपण कृषि किन क्षेत्रों में किया जाता है?

वृक्ष रोपण कृषि मुख्यता उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में किया जाता है जहां की जलवायु उष्ण हो।

वृक्ष रोपण कृषि मैं यातायात क्यों जरूरी है?

वृक्ष रोपण कृषि में यातायात बहुत जरूरी है क्योंकि इस कृषि में अत्यधिक मात्रा में फसलों को उगाया जाता है जिसे बाजारों तक पहुंचाने के लिए सुगम यातायात की व्यवस्था होनी जरूरी है।

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निष्कर्ष

वृक्ष रोपण कृषि का इस्तेमाल हमारे भारत के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि भारत इसका इस्तेमाल सर्वाधिक रूप से करता है।

हम आशा करते हैं आपको वृक्ष रोपण कृषि क्या है और कैसे किया जाता है? तथा वृक्ष रोपण कृषि की विशेषताएं के ऊपर हमारी यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।

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