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मुल्यांकन क्या है? मूल्यांकन के अर्थ और प्रकार की विशेषता

मूल्यांकन क्या है (Mulyankan Kya Hai) इसकी जानकारी आप सभी को होनी चाहिए क्योंकि दिन प्रतिदिन इसकी जरूरत बढ़ती जा रही है और हमें अपने व्यक्तिगत विकास के लिए मूल्यांकन के अर्थ और प्रकार के विषय में जानकारी होनी चाहिए।

मूल्यांकन को अंग्रेजी में इवैल्यूएशन (Evaluation) कहते हैं यह किसी वस्तु के गुणों का विश्लेषण होता है जिसका उपयोग करके हम सर्वोत्तम गुणों वाला वस्तु,व्यक्ति,कार्य इत्यादि चुन सकते हैं।

समाज में उपस्थित लगभग सभी क्षेत्रों में मूल्यांकन का उपयोग होता है। इसके उपयोग से त्रुटियां कम होती है और सर्वोत्तम विकल्प का चुनाव होता है।

मूल्यांकन क्या है?

मुल्यांकन क्या है? मूल्यांकन के अर्थ और प्रकार की विशेषता

मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जो किसी कार्यक्रम की गतिविधियों, विशेषताओं और परिणामों के बारे में जानकारी एकत्र करती है और उसका विश्लेषण करती है। मूल्यांकन का उद्देश्य किसी कार्यक्रम के बारे में निर्णय करना और उसकी प्रभावशीलता मैं सुधार करना है।

मूल्यांकन “मूल्य” और “अंकल” शब्दों से मिलकर बना है। उदाहरण में आप देख सकते हैं कि मूल्यांकन किस प्रकार दो शब्दों से मिलकर बना है, “मूल्य + अंकन = मूल्यांकन

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किसी वस्तु, व्यक्ति और कार्यक्रम के मूल्य का अंकल ही मूल्यांकन कहलाता है। इस प्रक्रिया में मूल्य का अंकन कई विशेष प्रकार की जानकारियों के आधार पर किया जाता है।

मूल्यांकन के प्रकार

रचनात्मक मूल्यांकन और योगात्मक मूल्यांकन यह दो मूल्यांकन के मुख्य दो प्रकार होते हैं। इन दोनों मूल्यांकन के प्रकारों की अपनी-अपनी विशेषता है जिसे हम विस्तृत रूप से जानेंगे।

  1.  रचनात्मक मूल्यांकन
  2.  योगात्मक मूल्यांकन

रचनात्मक मूल्यांकन – किसी कार्य के पूर्ण होने से पहले मध्य में जब उसका मूल्यांकन किया जाता है जिससे कि यह पता चल सके कि वह कार्य अभी तक सही रूप से हुआ है या नहीं तो इस प्रकार के मूल्यांकन को रचनात्मक मूल्यांकन कहेंगे।

उदाहरण: जब किसी छात्र को किसी विषय के एक या दो अध्याय पढ़ा कर उसका परीक्षा लिया जाता है, जिससे पढ़ाए गए अध्याय को छात्र ने कितना सीखा है यह पता चल सके।

योगात्मक मूल्यांकन – किसी कार्य के पूर्ण होने के बाद जब उसका मूल्यांकन किया जाता है जिससे कि यह पता चल सके कि वह कार्य पूर्ण होने के बाद कितने हद तक अपनी विशेषताओं को प्राप्त करने में सक्षम रहा है तो इस प्रकार के मूल्यांकन को योगात्मक मूल्यांकन कहेंगे।

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उदाहरण: जब किसी छात्र को किसी विषय के पूरे अध्याय के बारे में पढ़ा दिया जाए और उससे परीक्षा लिया जाए जिससे कि यह पता चल सके कि छात्र ने उस विषय के बारे में कितना सीखा है।

रचनात्मक और योगात्मक मूल्यांकन में क्या अंतर है?

रचनात्मक मूल्यांकनयोगात्मक मूल्यांकन
चनात्मक मूल्यांकन का उद्देश्य किसी व्यक्ति, छात्र, वस्तु, कार्यक्रम पर निगरानी रखना है।योगात्मक मूल्यांकन का उद्देश्य किसी व्यक्ति, छात्र, वस्तु, कार्यक्रम का विश्लेषण करना है।
यह व्यक्ति, छात्र, वस्तु, कार्यक्रम आदि की कमियों के बारे में सूचित कर उसे सुधारने का मौका देता है।यह व्यक्ति, छात्र, वस्तु, कार्यक्रम आदि की कमियों के बारे में सूचित कर उसे सुधारने का मौका नहीं देता है।
यह जल्दी-जल्दी किसी चीज के बारे में अच्छे से सीखने का रास्ता है।यह किसी चीज के बारे में उसकी योग्यताओं का विश्लेषण करने का रास्ता है।
रचनात्मक मूल्यांकन किसी व्यक्ति, वस्तु, कार्यक्रम आदि के ऊपर कम दबाव देता है।योगात्मक मूल्यांकन किसी व्यक्ति, वस्तु, कार्यक्रम आदि के ऊपर अधिक दबाव देता है।
यह किसी व्यक्ति, वस्तु, कार्यक्रम की परियोजना होती है।यह किसी व्यक्ति, वस्तु, कार्यक्रम की अंतिम परियोजना होती है। 

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मूल्यांकन और मापन में क्या अंतर है?

मूल्यांकनमापन
मूल्यांकन किसी व्यक्ति और वस्तु के गुणों का विश्लेषण करता है।मापन किसी व्यक्ति और वस्तु को केवल अंक प्रदान करता है।
मूल्यांकन में 6 अलग-अलग पद होते हैंमापन में 4 अलग-अलग पद होते हैं।
मूल्यांकन एक नई अवधारणा है।मापन एक पुरानी अवधारणा है।
यह व्यापक रूप से किसी व्यक्ति और वस्तु का विश्लेषण करती है।इसका दायरा संकीर्ण है और यह व्यक्ति और वस्तु का विश्लेषण सही रूप से नहीं देती है।
मूल्यांकन में छात्रों के गुणात्मक प्रगति और व्यावहारिक परिवर्तन का पता लगाया जाता है।मापन में केवल छात्रों के मात्रात्मक प्रगति का पता लगाया जाता है। 
गुणों का एकत्रित रूप ही मूल्यांकन है।मापन की प्रक्रिया अलग-अलग इकाइयों में पूरी की जाती है।
मूल्यांकन का उद्देश्य व्यवहारों में परिवर्तन लाकर विकास की ओर ले जाना है।मापन का उद्देश्य केवल चीजों को मापना है।
इसके द्वारा हम छात्रों के व्यवहार, मानसिक, योग्यता आदि का पता लगा सकते हैं।इसके द्वारा हम केवल उनके द्वारा किए गए कार्यों का मापन कर सकते हैं। 
मूल्यांकन एक तकनीकी शब्द है जो मूल्य और अंकन दो शब्दों से मिलकर बना हैमापन एक सरल शब्द है जो इकाइयों पर काम करती है। 
मूल्यांकन का पहला चरण मापन होता हैमापन का दूसरा चरण मूल्यांकन है।

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अच्छे मूल्यांकन के लिए क्या होना चाहिए

एक अच्छा मूल्यांकन करने में विभिन्न प्रकार के गुण मौजूद होनी चाहिए जिससे मूल्यांकन पारदर्शी और सर्वोत्तम हो, कुछ निम्नलिखित गुण है जो एक अच्छे मूल्यांकन में मौजूद होते हैं।

  1. मूल्यांकन ज्ञान : इसमें जो व्यक्ति मूल्यांकन कर रहा है उसके पास मूल्यांकन का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए।
  2. पर्याप्त संसाधन :  मूल्यांकन करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की जरूरत होती है जिससे विश्लेषण की जानकारी सही से प्राप्त हो सके।
  3. मूल्यांकन समावेशी : एक अच्छे मूल्यांकन में बहुगुणा का विश्लेषण होता है और उसके आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। 
  4. इमानदारी से भरा मूल्यांकन : मूल्यांकन करने वाला व्यक्ति ईमानदार होना चाहिए जिससे मूल्यांकन और अच्छा हो पाएगा।
  5. दोहराया गया मूल्यांकन : कोई भी मूल्यांकन एक बार में सटीक नहीं माना जा सकता इसलिए मूल्यांकन को दो बार दोहराना चाहिए जिससे मूल्यांकन की गुणवत्ता बढ़ेगी।

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शिक्षा में मूल्यांकन का क्या उपयोग है?

शिक्षा में मूल्यांकन का उपयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है साथ ही इसमें टेक्नोलॉजी का भी बड़ा योगदान हो गया है।

शिक्षा में मूल्यांकन का उपयोग कक्षा 1 से लेकर उच्च स्नातक डिग्रियों तक किया जाता है।

मूल्यांकन का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित रुप से होता है।

  • छात्रों के कक्षा परिवर्तन हेतु मूल्यांकन का उपयोग होता है।
  • विभिन्न प्रकार के विषय के चुनाव के लिए मूल्यांकन का उपयोग होता है।
  • कक्षा के विभिन्न भागों में दाखिला लेने के लिए मूल्यांकन का उपयोग होता है।
  • अलग-अलग परीक्षाओं में बैठने के लिए भी मूल्यांकन का उपयोग होता है।
  • छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए भी मूल्यांकन का उपयोग होता है।
  • कमजोर और तेज छात्रों का पता लगाने के लिए मूल्यांकन का उपयोग होता है।
  • शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए भी मूल्यांकन का उपयोग सरकार द्वारा किया जाता है।

अलग-अलग समय पर मूल्यांकन की प्रक्रिया में बदलाव होते रहते हैं जिससे किसी भी वस्तु का महत्व घटता और बढ़ता रहता है। जैसे-जैसे दुनिया आगे बढ़ती जा रही है उसी प्रकार से मूल्यांकन का स्तर भी बदल जा रहा है।

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अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मूल्यांकन एक अच्छा रास्ता होता है जिससे अपने अंदर छुपे हुए कमजोरी को दूर किया जा सकता है और नई क्षमताओं के साथ आगे बढ़ा जा सकता है।

प्रश्न और उत्तर

मूल्यांकन क्या होता है?

मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी भी व्यक्ति, वस्तु, कार्यक्रम आदि के गुणों का पता लगाया जाता है और उसके विश्लेषण के आधार पर उसका व्याख्या किया जाता है उसे मूल्यांकन कहते हैं। 

मूल्यांकन और मापन का मुख्य अंतर क्या है?

मापन केवल इकाइयों पर कार्य करता है जबकि मूल्यांकन किसी भी व्यक्ति वस्तु के गुणों पर कार्य करता है और उसका विश्लेषण हमें उचित रूप से देता है।

मूल्यांकन की परिभाषा क्या है?

किसी व्यक्ति, वस्तु, कार्यक्रम आदि के मूल्यों का आकलन करना ही मूल्यांकन होता है जिसके द्वारा हम किसी भी व्यक्ति वस्तु के गुणों के साथ-साथ उनके प्राकृतिक स्वभाव के बारे में भी पता लगा सकते हैं।

मूल्यांकन का आधार क्या है?

मूल्यांकन का आधार मापन है जिससे हम मूल्यांकन की प्रक्रिया का शुरुआत करते हैं और विभिन्न प्रकार के विवरणों का विश्लेषण के द्वारा हमें मूल्यांकन के नतीजे प्राप्त होते हैं।

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निष्कर्ष

किसी भी छात्र या व्यक्तिगत विकास के क्षेत्र में मूल्यांकन एक तीर के समान कार्य करता है और आपको आपके लक्ष्य तक ले जाने में आपकी मदद करता है।

हमें उम्मीद है कि आपको मूल्यांकन क्या होता है और मूल्यांकन के प्रकार की विशेषता तथा शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता क्या है एवं रचनात्मक और योगात्मक मूल्यांकन के बीच का अंतर के ऊपर यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।

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मूल्यांकन क्या है (Mulyankan Kya Hai) से जुड़े हुए कोई भी प्रश्न या सुझाव आपके मन में हो तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर बता सकते हैं हम उसका उत्तर आपको अवश्य देंगे।

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