इस वेबसाइट पर आप सभी छात्रों का स्वागत है आज हम जानेंगे नॉर्मलाइजेशन क्या है और Normalization कैसे होता है तथा Normalization की जरूरत क्यों है? इन सभी विषयों के बारे में हम विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे।
नॉर्मलाइजेशन एक ऐसा शब्द है जो हर छात्र किसी ना किसी परीक्षाओं में सुना ही होगा। सर्वप्रथम Normalization प्रक्रिया की शुरुआत “Carl R. May” ने किया था जिसके बाद इसका इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में किया जाने लगा।
वर्तमान समय में Normalization का इस्तेमाल लगभग सभी सरकारी परीक्षा तथा डाटा निरीक्षण के कार्यों में किया जाता है।
विषय सूची
नॉर्मलाइजेशन क्या है? (What is Normalization)
नॉर्मलाइजेशन हिसाब करने की प्रक्रिया है जो प्रतियोगिता परीक्षा में अलग-अलग पारियों में होने वाले परीक्षाओं की कठिनाई स्तर की भिन्नता को ध्यान में रखकर किया जाता है जिससे प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने वाले सभी उम्मीदवारों के प्रश्न पत्र की कठिनाई स्तर की भिन्नता को समाप्त हो जाए।
Normalization को हिंदी में “सामान्यीकरण” कहते हैं सामान्यीकरण का अर्थ है कठिनाई स्तर के आधार पर कई पारियों में उपस्थित उम्मीदवारों के अंकों की बराबरी करना।
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छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाएं कई पारियों में आयोजित की जाती हैं, आइए अब देखें Normalization कैसे होता है और यह इतना क्यों जरूरी है।
नॉर्मलाइजेशन कैसे होता है?
नॉर्मलाइजेशन अलग-अलग पारियों में प्राप्त औसत अंक के आधार पर होता है जिसमें प्रत्येक पारियों के औसत अंक निकाले जाते हैं, नीचे Normalization प्रक्रिया की संपूर्ण व्याख्या दी गई है।
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का विवरण
किसी 100 नंबर के परीक्षा में 15 छात्रों द्वारा अलग-अलग पारियों (Shift) मैं प्राप्त अंक।
Shift-1 | Shift-2 | Shift-3 |
70 | 65 | 50 |
45 | 61 | 75 |
80 | 75 | 88 |
59 | 90 | 75 |
70 | 59 | 77 |
यहां 5 छात्रों की संख्या में 3 Shift मैं परीक्षा ली गई है जिसमें कुल छात्रों की संख्या है 15 = 5×3
Shift-1 औसत अंक = 70+45+80+59+70 / 5 = 64.8
Shift-2 औसत अंक = 65+61+75+90+59 / 5 = 70
Shift-3 औसत अंक = 50+75+88+75+77 / 5 = 73
अब जिस Shift का औसत नंबर सबसे कम होगा उस Shift में सबसे कठिन प्रश्न पत्र दिए गए थे, इस परिस्थिति में Shift-1 का प्रश्न पत्र कठिन था तो Normalization Shift-1 के साथ होगा।
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Shift-1 का Normalization
(Shift-3) – (Shift-2) = 73 – 70 = 3
अब Normalization के बाद Shift-1 की परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के प्राप्तांक में +3 जोड़ा जाएगा।
Shift-1 नॉर्मलाइजेशन के बिना | Shift-1 नॉर्मलाइजेशन के साथ |
70 | 73 |
45 | 48 |
80 | 83 |
59 | 62 |
70 | 73 |
याद रखें: Normalization हमेशा कठिन प्रश्न पत्र वाले पारियों (Shift) की परीक्षाओं के लिए होता है।
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नॉर्मलाइजेशन क्यों जरूरी है?
Normalization अत्यधिक जरूरी है ना केवल छात्रों के लिए अपितु हमारे देश के विकास के लिए भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है।
नॉर्मलाइजेशन छात्रों की एक उचित मांग थी जो छात्रों के बीच और असमानता को खत्म करता है। क्योंकि परीक्षा के विभिन्न पालियों (Shift) में प्रश्न पत्र का स्तर भिन्न होता है।
कुछ परीक्षार्थी कठिन परिश्रम के साथ परीक्षा में निर्धारित कठिन प्रश्न पत्र के वजह से फेल हो जाते हैं जबकि कुछ अन्य उम्मीदवारों को तुलनात्मक रूप से एक आसान प्रश्न पत्र मिलता है जिस वजह से वह आसानी से उस परीक्षा को पास कर लेते हैं।
छात्रों के बीच यह एक असमानता पैदा करती है और अंतिम में योग्य उम्मीदवारों की मानसिकता पर बुरा असर डालती है, इस प्रकार की चीजें असंतोष और अधर्म को जन्म देता है।
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Normalization ना केवल छात्रों के बीच और असमानता को मिटाता है बल्कि यह छात्रों के बीच परीक्षा से पूर्व आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।
नॉर्मलाइजेशन की विशेषता क्या है?
- Normalization विभिन्न पैमानों पर मापे गए मानों को एक सामान्य पैमाने पर समायोजित करने की एक प्रक्रिया है।
- यह समान परीक्षा मापदंडों के आधार पर उम्मीदवारों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
- इसका उद्देश्य परीक्षा की विभिन्न पालियों में कठिनाई स्तर को समायोजित करना है।
- Normalization प्रक्रिया स्कोर के मूल्यांकन के लिए एक सूत्र का उपयोग करती है।
- यह परीक्षा लेने वाले आयोग पर निर्भर करता है कि वह कौन से फॉर्मूले का इस्तेमाल करता है।
- उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंक और विभिन्न पालियों में वैध प्रश्नों की वास्तविक संख्या को इनपुट के रूप में लिया जाता है।
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प्रश्न और उत्तर
नॉर्मलाइजेशन हिसाब करने की ऐसी प्रक्रिया है जो किसी भी परीक्षाओं के विभिन्न पारी में दी जाने वाली प्रश्न पत्र की कठिनाइयों की भिन्नता को मिटाता है।
नॉर्मलाइजेशन का आविष्कार “Carl R. May” ने किया था।
हां रेलवे में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है चाहे वह रेलवे के किसी भी श्रेणी की परीक्षा ही क्यों ना हो।
SSC मैं नॉर्मल आई जेशन की प्रक्रिया tier-1 और tier-2 के बीच किया जाता है जिससे अंतिम निष्कर्ष निकाला जाता है।
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निष्कर्ष
Normalization प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है क्योंकि यह परीक्षा मैं बैठने वाले सभी छात्र छात्राओं के बीच समानता की स्थिति को पैदा करता है।
हम आशा करते हैं आपको हमारी नॉर्मलाइजेशन क्या होता है (Normalization Kya Hota Hai) और नॉर्मलाइजेशन कैसे होता है तथा नॉर्मलाइजेशन क्यों जरूरी है और Normalization की विशेषता के ऊपर हमारी यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
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Normalisation के बाद अंक घट क्यूं गए , add हुवे तो बढ़ने चाहिएं ना
नॉर्मलाइजेशन क्या होता है इस बात की जानकारी में हमने यह आपको बताया है कि अगर आपने आसान शिफ्ट में परीक्षा दी होगी तो नॉर्मल आई जेशन के बाद आप का अंक घट जाएगा इसलिए अंक के घटने पर आप घबराए नहीं।
Sir mp tet barg3 me mere 74 n. h me sc ketegri or hendicap hu sir kya mere n. bad sakte h Please btay
बढ़ भी सकता है और नहीं भी, जाति और विकलांगता के आधार पर नॉर्मलाइजेशन नहीं होता है नॉर्मल आई जेशन केवल प्रश्न पत्र के कठिनता के आधार पर होता है। अगर आप जिस चरण में परीक्षा दे रहे हैं उस चरण में प्रश्नपत्र का स्तर सरल है तो नंबर कटेगा अगर यदि प्रश्न पत्र का स्तर कठिन है तो नंबर बढ़ सकता है।
Normalisation ka koi jarurat hi nahi hai
नूर भाई, नॉर्मलाइजेशन बहुत ही जरूरी है क्योंकि अगर बहुत सारे विद्यार्थी समान अंक प्राप्त करते हैं तो इस जगह पर नॉर्मलाइजेशन के बिना उचित कैंडिडेट का चुनाव नहीं हो सकता है।