आज के इस लेख में हम लोग जानेंगे जलप्रपात किसे कहते हैं और जलप्रपात कैसे बनता है तथा इसके प्रकार को हम लोग जानेंगे, यदि आप एक भूगोल विषय के छात्र हैं तो आपको इस विषय का ज्ञान होना चाहिए।
जलप्रपात का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के चीजों में होता है जिससे समाज की प्रगति में और वृद्धि होती है। आइए जानते हैं जलप्रपात किसे कहते हैं?
विषय सूची
जलप्रपात किसे कहते हैं?
जलप्रपात उस स्थान को कहते हैं जहां कई अलग-अलग नदियों का पानी एकजुट होकर पहाड़ की ऊंची चट्टानों से नीचे भूमि पर गिरती है।
अगर नदियों का पानी सामान्य मात्रा में कम ऊंचाई से भूमि पर गिरती है तो उसे केवल जलप्रपात कहेंगे और जब नदियों का पानी अधिक मात्रा में अधिक ऊंचाई से भूमि पर गिरता है तो उसे महा जलप्रपात कहते हैं।
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भारत के अधिकतर जलप्रपात दक्षिण भारत में पाए जाते हैं जिनमें से कुछ ही जलप्रपात महा जलप्रपात है। एंजेल फॉल्स, जो 979 मीटर ऊंचा है, दुनिया का सबसे बड़ा जलप्रपात है।
जलप्रपात के प्रकार
नदियों का पहाड़ पर से गिरने की विशेषताओं के आधार पर जलप्रपात के अलग-अलग प्रकार होते हैं जिस की सूची नीचे दी गई है।
भारत और पूरी दुनिया में निम्नलिखित प्रकार के जलप्रपात पाए जाते हैं:
- खण्डक (Block)
- सोपानी (Cascade)
- महा जलप्रपात (Cataract)
- ढालू (Chute)
- पंखा (Fan)
- हिमाद्रि (Frozen)
- खरदुम (Horsetail)
- गोता (Plunge)
- विभक्त (Segmented)
- पांतिक (Tiered)
- बहु-चरणी (Multi-step)
- कैटाडूपा (Catadupa)
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जलप्रपात कैसे बनते हैं?
जलप्रपात का निर्माण कटाव के माध्यम से होता है मतलब अपरदन अतः नदियों द्वारा मिट्टी और पहाड़ों का कटाव करने से ही जलप्रपात का निर्माण होता है।
जब एक नदी का धारा नाम चट्टानों से होकर कठोर चट्टानों की ओर बहती है तो यह जलप्रपात बनाती है क्योंकि इसमें नरम चट्टानों का कटाव निश्चित होता है। यह लंबवत और पार्श्व दोनों तरह से हो सकता है लेकिन प्रत्येक मामले में तेज नदियों की धारा द्वारा नरम चट्टानों का क्षरण होता है।
जलप्रपात फॉल लाइन रेखा के अनुसार बनती है और फॉल लाइन वह रेखा है जहाँ समानांतर नदियाँ उच्चभूमि से तराई की ओर बहती हैं। यह विधि भू वैज्ञानिकों को कई झरने को देखकर क्षेत्र की पतन रेखा के साथ-साथ उसकी अंतर्निहित चट्टान संरचना को निर्धारित करने की अनुमति देती है।
ऊंचाई पर जैसे-जैसे नदी का वेग बढ़ता है, आधार के करीब धारा की क्षरण दर बढ़ती जाती है। शीर्ष पर पानी की आवाजाही से चट्टानें चपटी और चिकनी हो सकती हैं। प्लंज पूल का आधार इस तरह बनता है।
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आधार पर कटाव के कारण पानी घटता है। रॉक शेल्टर एक खोखली, गुफा जैसी संरचना है जो जलप्रपात के पीछे स्थित है। रॉक लेज टम्बल्स और बोल्डर को धाराओं और डुबकी पूलों में गिरा देता है। जलप्रपात से बायीं चट्टानों के शिलाखंड नष्ट हो रहे हैं।
जलप्रपात तब बनते हैं जब ग्रेनाइट की संरचनाएं चट्टानें या कगार बनाती हैं। जलप्रपात से क्रॉस फॉल्ट लाइन भी बन सकती हैं।
भारत के कुछ प्रमुख जलप्रपात के नाम
राज्य | जलप्रपात के नाम |
राजस्थान | चुलिया जलप्रपात, मेघालय नोहकलिकाई जलप्रपात |
झारखंड | हुंडरू जलप्रपात, राजरप्पा जलप्रपात |
उड़ीसा | बरेहीपानी जलप्रपात, डुडुमा जलप्रपात |
मध्यप्रदेश | धुआँधार जलप्रपात, कपिलधारा जलप्रपात |
महाराष्ट्र | वजराई जलप्रपात, अम्बोली घाट जलप्रपात |
तमिलनाडु | होगेनक्कल जलप्रपात, पाइकारा जलप्रपात |
केरल | पालरवी जलप्रपात |
कर्नाटक | जोग जलप्रपात, शिवसमुद्रम जलप्रपात, दूधसागर जलप्रपात, कुंचिकल जलप्रपात |
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प्रश्न और उत्तर
खण्डक जलप्रपात एक अपेक्षाकृत व्यापक धारा या नदी से नीचे गिरता है।
सोपानी पात या क्रमप्रपात में जल चट्टानों की एक शृंखला से नीचे गिरता है।
महाजलप्रपात अपने नाम के अनुसार एक बड़ा और शक्तिशाली जलप्रपात होता है।
ढालू जलप्रपात पानी की एक बड़ी मात्रा एक उर्ध्वाधर और संकरे उद्गम से नीचे गिरती है।
पंखा जलप्रपात जल गिरने के साथ साथ क्षैतिज रूप से फैलता है और नीचे गिरते समय हमेशा चट्टान के संपर्क में रहता है।
हिमाद्रि एक ऐसा झरना है जिसके जल में बर्फ के छोटे छोटे टुकडे समाहित होते हैं।
अवरोही पानी चट्टानी आधार के साथ कुछ संपर्क रखता है।
खरल जलप्रपात जल एक संकीर्ण जलधारा के रूप में उतरता है और फिर एक व्यापक कुण्ड में फैलता है।
सोपानी और विभक्त पातों का मिश्रण इस जलप्रपात में पानी अलग अलग धाराओं में चट्टान की शृंखला से एक क्रम में गिरता है।
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निष्कर्ष
जलप्रपात अत्यंत महत्वपूर्ण प्राकृतिक कार्यक्रम है जो हमारे प्राकृतिक को संतुलित करती है और समाज में जीवन की क्रिया क्रम को आगे बढ़ाती है।
हम आशा करते हैं आपको जलप्रपात किसे कहते हैं और जलप्रपात कैसे बनते हैं तथा इनके प्रकारों की विशेषता क्या है कि ऊपर यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
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